माँ तेरा आँचल
माँ तेरा आँचल है कहाँ ?
माँ तेरी मीठी लोरियां है कहाँ ?
माँ वो तेरी बोली की मिठास है कहाँ ?
माँ वो तेरा मुझे
बात – बात पर मनाना
माँ वो तेरी प्यारी – प्यारी झिड़कियां
माँ वो तेरी गोद की
भीनी – भीनी खुशबू
माँ तेरे आँचल की
छाँव में गुजरा
मेरा अठखेलियाँ करता बचपन
माँ वो मेरी प्यारी – प्यारी
शरारतों पर तेरा मुस्कुराना
माँ वो मेरे ज़रा सा गिर जाने पर
तेरे दिल पर लगती वो चोट
माँ वो तेरी मीठी – मीठी बातें
माँ वो मेरे बचपन का तोतलापन
माँ वो तेरे हाथों में
मेरी छोटी – छोटी अंगुलियाँ
माँ वो दिन याद है
जब खेलते – खेलते गिर गया था मैं
घुटने पर लगी वो चोट
जिसे देखकर
सिहर गयीं थीं तुम
आम मुझे आज भी याद है वो दिन
जब तुम दिन – दिन भर
सिलाई कर
हमारे लिए दो समय का
भोजन जुटातीं थीं
मुझे आपका साहस
और कभी न हार न मानने की
प्रवृत्ति हमेशा प्रेरित करती थी
माँ तुमने हमारी शिक्षा पर कभी भी
रोक नहीं लगाईं
और हमेशा ज्ञान अर्जित करने
और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया
माँ आपकी कर्मपूर्ण छाया का
आश्रय पाकर हमने भी
अपने जीवन में
ऊँचाइयों को छुआ
माँ तुम हमेशा जीवनदायिनी ,प्रेरणादायिनी
बन उतरीं हमारे जीवन में
माँ तुम दया और प्रेम की
दीया बन जलीं
हमेशा हमारे जीवन में
आपका अनूठा साहस
कठिन से कठिन
परिस्थितियों में भी
न भागने का एहसास
वह तुम्हारा
हमें संस्कारित करना
शिक्षा के प्रति हमारे भीतर
मोह पैदा करना
कर्म्पूर्ण जीवन जीने को
प्रेरित करना
हमेशा आदर्शों की बातें करना
सत्यपथ पर अग्रसर करने का
आपका संकल्प
आज भी हमें
रोमांचित करता है
सामाजिकता का पाठ
मिलजुलकर रहने का स्वभाव
जीवन जीने का व्यवहार
उस प्रभु परमात्मा के लिए
हमारे मन में
आपके द्वारा जो श्रद्धा व विश्वास जीवित किया
आज जीवन के इस मोड़ पर
आपके उन प्रयासों का प्रतिफल
साक्षात कराता है
उन प्रयासों को
उन कोशिशों को
आप हमेशा कहती थीं
बीटा गीता के सार को समझो
उसे अपनाओ
कर्म ही धरती पर जीता है
कर्म के मर्म को जान्ने का सर्वोत्तम साधन है
कर्म ही मनुष्य को
जीवित रखने व उस चरम तक
पहुँचने का एकमात्र मार्ग है
जो बातें आपने बताईं
जो मार्गदर्शन आपने दिया
हम उसके लिए आपका ऋण
एक जन्म तो क्या
कई जन्मों में भी नहीं उतार सकते
माँ हो सके तो ,हमारी भूलों को माफ़ करना
आपके आशीर्वाद को हमेशा लालायित
हम आपकी चरण वंदना को हमेशा आतुर
आपका सानिध्य व आपके आशीर्वाद के लिए
हमेशा प्रतीक्षारत आपका पुत्र “अनिल”
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