Monday 16 September 2019

पाषाण पोषित शहर में


पाषाण इस पोषित शहर में

पत्थरों के इस शहर में संवेदनाओं को तलाशता हर एक शख्स
पाषाण पोषित इस शहर में , संवेदनाओं के दीप जलाऊँ तो जलाऊँ कैसे

नशे में डूबता इस शहर का हर एक शख्स
नशे में डूबे इस शहर के हर एक शख्स को , होश में लाऊँ तो लाऊँ कैसे

रिश्तों की चाह में भटकता इस शहर का हर एक शख्स
अजनबियों के इस बियाबान शहर में रिश्तों की आस जगाऊं तो जगाऊं कैसे

मानव मूल्य स्वयं को खोजते इस अजनबी बियाबान शहर में
मानवीय मूल्यों को खोते इस शहर को मानवता का राग सुनाऊँ तो सुनाऊँ कैसे

ख़ुशी हो या गम , पीना है जिनकी जिन्दगी का शगल
पी रखी है जिन्होंने वक़्त  - बेवक्त , उन्हें होश में लाऊँ तो लाऊँ कैसे

खुद की परवाह में मशगूल,  अपनों को खोता इस शहर का हर एक शख्स
इस शहर के लोगों को , एक दूसरे के नजदीक लाऊँ तो लाऊँ कैसे

पत्थरों के इस शहर में संवेदनाओं को तलाशता हर एक शख्स
पाषाण पोषित इस शहर में , संवेदनाओं के दीप जलाऊँ तो जलाऊँ कैसे

नशे में डूबता इस शहर का हर एक शख्स
नशे में डूबे इस शहर के हर एक शख्स को , होश में लाऊँ तो लाऊँ कैसे


उसने अपनी सारी जिन्दगी यूं ही तमाम कर ली


उसने अपनी सारी जिन्दगी यूं ही तमाम कर ली

उसने अपनी सारी जिन्दगी यूं ही तमाम कर ली
उसने अपनी बची साँसें बोतल के नाम कर दी

पिए जा रहा था वो , बोतल को गड़गड़ करके
बोतल ने उसकी सारी अंतड़ियां अपने नाम कर ली

क्या गम क्या ख़ुशी , बोतल हो गयी थी जिन्दगी की उसकी हमसफ़र
ताउम्र का रिश्ता बोतल से उससे अपने नाम कर ली

न उसे थी बच्चों की परवाह , न ही बीवी की खबर
उसकी हर खुशियाँ बोतल ने अपने नाम कर ली

घर का एक – एक सामान बिकने लगा था एक-एक कर
घर की हर एक चीज बोतल ने अपने नाम कर ली

घर की सारी खुशियाँ हो गयीं छूमंतर एक ही पल में
एक बोतल ने घर के हर सदस्य की आँखें नाम कर दी

पीता रहा वो बोतल अपने गम को कम करने के लिए
घर के हर शख्स की जिन्दगी बोतल ने अपने नाम कर ली

एक बोतल की चाह में उसने भुला दिया दुनिया को
उसकी जिन्दगी की हर एक चाह बोतल ने अपने नाम कर ली



तेरी परवरिश पर यकीं है मुझे


तेरी परवरिश पर यकीं है मुझे

रोशन मेरी किस्मत एक करम से तेरे
तेरी परवरिश पर यकीं है मुझे

तेरी इबादत मेरी जिन्दगी का मकसद
तुझसे कोई शिकायत नहीं है मुझे

मेरी खुशनसीबी, मैं तेरा मुरीद
तेरा दरबार मेरा इबादतखाना

तुझसे रोशन मेरी हर एक खुशी
तुझसे रोशन मेरा आशियाना

तू फ़रिश्ता है ऐ मेरे खुदा
तेरे बन्दों की खिदमत खुशनसीबी मेरी

फलक पर बैठाया है तूने मुझको
तेरे करम से रोशन जिन्दगी मेरी

मेरी तकदीर संवार दी है तूने
मेरे गुलिस्तां को रोशन किया है तूने

अपनी परवरिश में हमेशा रखना तुमको
अपनी इबादत के काबिल बनाए रखना मुझको

मेरी जिन्दगी का हर पल कुर्बान तुझ पर
अपने दर का चिराग़ करना मुझको

तेरे बन्दों से मुहब्बत का ज़ज्बा रहे कायम
अपने गुलिस्तां का गुलाब करना मुझको

रोशन मेरी किस्मत एक करम से तेरे
तेरी परवरिश पर यकीं है मुझे

तेरी इबादत मेरी जिन्दगी का मकसद
तुझसे कोई शिकायत नहीं है मुझे