Saturday 4 January 2014

पथिक


पथिक
पथिक तुम राह भूले कैसे
हे पथिक तुम इतने विव्हल क्यों
राह तुम्हें सूझती नहीं है क्यों
हे पथिक मंजिल है क्या तुम्हारी
हे पथिक अनुकरणीय बनो तुम
हे पथिक अद्वितीय बनो तुम
हे पथिक डगमगाना न तुम
आँधियों से घबराना न तुम
हे पथिक अवसरवादी न होना तुम
हे पथिक आदर्श अनुयायी बनो तुम
हे पथिक अल्पभाषी बनो तुम
हे पथिक तुम अशक्त न होना
हे पथिक तुम कभी अभियुक्त न होना
हे पथिक अनुपम बनो तुम
हे पथिक अभेद्य हो खिलो तुम
हे पथिक तुम अकर्मण्य न होना
हे पथिक दूरदृष्टा बनो तुम
हे पथिक तुम तामसी न होना
सत्मार्ग हर पल वरो तुम
हे पथिक तुम परालम्बी न होना
हर क्षण स्वावलंबी बनो तुम
हे पथिक तुम इतने दुर्बल लग रहे हो क्यों
हे पथिक अदम्य बन उठो तुम
स्वयं को निर्मित करो तुम
अतुलनीय विचारक बनो तुम
अनुपम अन्वेषक बन बढ़ो तुम
हे पथिक अंतर्ज्ञानी बनो तुम
हे पथिक तुम आत्महंता न होना
हे पथिक तुम अंधविश्वासी न होना
चीर कर बुराइयों का सीना
हे पथिक सुमार्गी बनो तुम
हे पथिक तुम कर्मठ , कुलीन हो
दुष्कर , आलोचक न होना तुम
सदाचारी , सर्वप्रिय बनो तुम
हे पथिक तारे बन खिलो तुम
विश्व धरा पर चमको तुम
मंजिल के ध्वज तले
अनुपम जीवन जियो तुम
हे पथिक यशस्वी बनो तुम
हे पथिक यशस्वी बनो तुम
हे पथिक यशस्वी बनो तुम

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