तेरी
कायनात
जहां में
तेरी कायनात के नज़ारे हज़ार हैं
कुछ मुझसे
दूर कुछ मेरे आसपास हैं
उस आसमां
में भी तेरे करतब हज़ार हैं
करिश्मा
तेरे दीदार इस धरा पर हज़ार हैं
कि तू बसता
है हर एक के दिल में
यहाँ
मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे , गिरिजाघर हज़ार हैं
नानक ,
महावीर , गौतम और राम तू
कि और भी
ऐसे नाम तेरे हज़ार हैं
देता है
तू एहसास तेरे होने का हर क्षण
कभी जल
में , कभी थल में ,रहता है तू कण – कण में
गिरतों को
दे सहारा , इस कायनात में
खिल रहे
हैं फूल तेरे नाम से , इस धरा पर हज़ार में
ज़र्रा –
ज़र्रा खिल रहा है तुझसे इस बयार का
कि बस रहा
है तू हम सब हज़ार में
हमको मिला
सहारा , हमेशा हज़ार में
कि जी रहे
हैं हम , तुझ संग हज़ार में
तेरी
जुस्तजू तेरा करम हम पर बना रहे
गुजर तेरे
करम से , कर लेंगे हम हज़ार में
जहां में
तेरी कायनात के नज़ारे हज़ार हैं
कुछ मुझसे
दूर कुछ मेरे आसपास हैं
उस आसमां
में भी तेरे करतब हज़ार हैं
करिश्मा
तेरे दीदार इस धरा पर हज़ार हैं
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