रंग
रंग ढूँढता हूँ
मैं
जिंदगी मे सबकी
कुछ है काले
तो कुछ हैं पीले
काला जो चहरे पर
हो तो
चरित्र पतन का
कारण होता है
जो पीला हो तो
शुभ का प्रतीक
होता है
ये पीला रंग
जीवन चरण मे
परिवर्तन का
द्धोतक होता है
कहीं नए मेहमान का
आगमन
तो कहीं
विवाह का शुभ
सन्देश देता है
रंग जो
गुलाबी हो तो
शुभ आचरण व
शुभ लक्षणों
से संपन्न
जीवन का परिचायक
होता है
जब ये रंग
लाल हो जाए
तो
बलिदान या त्याग
बन जाता है
यह रंग देश प्रेम
को दर्शाता है
जब रंग हरा हो तो
चहुँ ओर हरियाली
का
समां होता है
जिनका सन्देश
हमेशा
भाईचारा होता है
शांतिपूर्ण जीवन
सादा जीवन होता
रंग जो
भगवा हो तो
प्रभु मे रंगे
चरित्र का
आभास होता है
इस चरित्र के
आसपास
उस परमात्मा का
निवास होता है
रंग जो सफ़ेद हो तो
शोक, गम ,
किसी की कमी का
एहसास होता है
रंगों की अपनी
दुनिया है
जैसा रंग वैसा
चरित्र
परन्तु
आज के मानव ने
चरित्रों को
मिलाकर
मिश्रण बनाकर
अनके रंगों का
निर्माण किया है
यानी रंग एक
चरित्रपूर्ण
व्यवहार अनेक
मैं तो एक ही
रंग मे
रंगना चाहता हूँ
“मानवता का रंग “
जिससे सारे रंगों
को
एक कर
स्वस्थ समाज का
निर्माण करने की
क्षमता होती है
मैं तो उस रंग मे
रंगना चाहता हूँ
जो दूसरों को हंसा
दे
लरजते होठों पर
मुस्कराहट भर दे
भूखों का भोजन
बन जाए
जागतों की
नींद बन जाए
मैं उस रंग मे
रंगना चाहता हूँ
जो चारों ओर
प्रेममय शांति
कर दे
प्रेममय हरियाली
कर दे
मानव को मानव बना
दे
इस धरा का उद्धार
कर दे
इस धरा का उद्धार
कर दे
इस धरा का उद्धार
कर दे
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