Saturday 21 July 2018

सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जगाकर तो देख


सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जगाकर तो देख

सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जागाकर तो देख
खुद को इस देश की , जागीर बनाकर तो देख

यूं ही नहीं रोशन होता ज़ज्बा , देश पर मर मिटने का
एक बार खुद को , देश पर लुटाकर तो देख

लगते हर बरस मेले , माँ के सपूतों की कब्र पर
एक बार ही सही देश के , दुश्मनों से आँख मिलाकर तो देख

रोशन होगा तेरा नाम , रोशन होगी शख्सियत तेरी
एक बार तो देश पर , कुर्बान होकर तो देख

वतन परस्ती का ज़ज्बा , दिल में कर रोशन
जिन्दगी का हर पल , मादरे वतन पर लुटाकर तो देख

कुछ गीत लिखो , मादरे वतन की आन और शान पर
अपनी कलम की खुशबू से , इस वतन को रोशन कर देख

वतन के दुश्मनों को सिखाना है दुश्मनी का सबक
इस ज़ज्बे से हर पल , जिन्दगी का सराबोर करके तो देख

सरफ़रोशी की शमाँ , दिल में जागाकर तो देख
खुद को इस देश की , जागीर बनाकर तो देख

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता


क्षणिकाएं


क्षणिकाएं

ग्रीष्म ऋतू की पीड़ा
शाखें भी समझती हैं
और
वसंत उनके आँगन
दस्तक देगा एक दिन
इस आस में वे जिन्दा रहती हैं


क्योंकि तुम
अवसर नहीं
संभावना हो
मेरे जीवन की
मुझे मालूम है
मेरी कोशिशें , मेरे प्रयास
आज नहीं तो कल
मेरी मंजिल का हमसफ़र हो
करेंगे रोशन
एक दिन मुझको


एक उम्र से मैं
अपने साए में
खड़ा हूँ
इस सोच के साथ
कि
आज नहीं तो कल
ये मानव जागेगा
एक नई
सुबह का साथ लिए




ओ तुलसी मैया

तुलसी मैया

तुलसी मैया  तुलसी मैया
घर आँगन महकाओ मैया
पार लगाओ नैया

तुलसी मैया  तुलसी मैया
मन मंदिर में बस जाओ तुम
खेओ जीवन नैया

तुलसी मैया  तुलसी मैया
पुण्य होवें सब कर्म हमारे
दे दो आँचल छैया

तुलसी मैया  तुलसी मैया
चरण कमल तेरे बलिबलि जाएँ
बन जाओ जीवन नैया

तुलसी मैया   तुलसी मैया
जीवन धन तुमसे हो पुष्पित
पार लगाओ  नैया

तुलसी मैया   तुलसी मैया
रोग दोष सब दूर हैं  भागें
चरण पखारें मैया

तुलसी मैया  तुलसी मैया







Sunday 8 July 2018

मुझे गुमां न हो अपनी कलम पर


मुझे गुमां न हो अपनी कलम पर

मुझे गुमां न हो अपनी कलम पर , ऐ मेरे खुदा
मेरी कलम से भटकों को राह दिखा , ऐ मेरे खुदा

मेरी कलम तेरी अज़ीज़ हो जाए , ऐ मेरे खुदा
मेरी कलम से सोते हुओं को जगा , ऐ मेरे खुदा

गुलजार हो जाये ये गुलशन , कलम से मेरी
किसी की उम्मीद को आसमां रोशन कर , ऐ मेरे खुदा

मैं लिखूं जो भी लिखूं , वो इवादत बन के रोशन हो
मेरे गीतों को गज़ल का एहसास दे , ऐ मेरे खुदा

उनके आशियाँ को चंद फूल खुशियों के नसीब हों, कलम से मेरी
मेरी कलम को जरिया बना, इकबाल मेरा बुलंद कर , ऐ मेरे खुदा

उनके ज़िस्म का कतरा-कतरा , तेरी इबादत पर हो कुर्बान
मेरी कलम से ये एहसास जगा दे , ऐ मेरे खुदा

उनका इंतज़ार एक तेरे दीदार से हो रोशन
मेरी कलम को अपने दीदार का ज़रिया बना , ऐ मेरे खुदा

मुझे गुमां न हो अपनी कलम पर , ऐ मेरे खुदा
मेरी कलम से भटकों को राह दिखा , ऐ मेरे खुदा