Wednesday 9 December 2020

काम करो भाई काम करो

 

काम करो भाई काम करो  

 

काम करो भाई काम करो

जग में अपना नाम करो   

कामचोर जो हो जायेगा

अँधेरे में खो जाएगा

 

विकसित एक आसमान करो

काम करो भाई काम करो

कायर जो तुम हो जाओगे

भीड़ में कहीं गुम हो जाओगे

 

हिम शिखर से अटल रहो तुम

अविचल अविराम बढ़ो तुम

खामोश जो तुम हो जाओगे

खुद को दिलासा क्या दे पाओगे

 

अंतर्मन में आस जगाओ

सारी दिल की पीर मिटाओ
संस्कारों पर ध्यान धरो

जग में अपना नाम करो

 

सागर सा कर चौड़ा  सीना

लहरों को अपने नाम करो

साहस से खुद को सींचो तुम

विकसित एक आसमान करो

 

काम करो भाई काम करो

जग में अपना नाम करो   

काम करो भाई काम करो

जग में अपना नाम करो   

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

निर्जन कानन को हरियाली में बदल देने का

पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही कुरीतियों को कुचल देने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

उदास आँखों में आशा का दीपक जलाने का

खुद का खुद से परिचय कराने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

भीतर की टीस से दुनिया को मिलाने का

खुद पर खुद का विश्वास जगाने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

क्यूं कर हो मेरी नींद पर किसी और का हक

यादों की विरासत से कुछ पल चुराने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

क्यूं कर हो मेरी साँसों पर किसी और का हक

खुद पर खुद का हक जताने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

जिन्दगी की किताब पर जमी धूल मिटाने का

जिन्दगी के हर पल को खुशनुमा बनाने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

आह जिन्दगी को अहा जिन्दगी में परिवर्तित करने का

हवाओं में बसे सुर से गीत सजाने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

पिंजरे के पंछी को आसमां की सैर कराने का

अवसर और उम्मीदों का एक कारवाँ सजाने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

अज्ञानता के पालने में झूल रहे लोगों को जगाने का

सिसकती साँसों के साथ जी रहे लोगों को हंसाने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

प्रेम और करुणा की कसौटी पर खरा उतरने का

जीवन को जीवन पथ पर अग्रसर कर देने का

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

उसने देखा जीवन बदल देने का सपना

 

अंदाज़े बयाँ

 

अंदाज़े बयाँ

 

1.

ख्वाहिशों के समंदर में आखिर डूबना ही क्यों

उठने की चाह में आखिर बार  - बार गिरना ही क्यों

 

२.

मेरी कलम को अपने अमानत कर ऐ मेरे खुदा

मेरे अल्फाजों को अपनी इबादत कर ऐ मेरे खुदा

 

३.

आगाज़ तेरी हर सुबह का इबादत से हो तो अच्छा हो

तेरी हर एक कोशिश पर खुदा की इनायत हो तो अच्छा हो

 

4.

आजमाइशों में न उलझ , कोशिश को परवान दे

अंजाम की परवाह न कर , अपनी कोशिशों को आसमान दे

 

5.

आब – ए – आइना (दर्पण की चमक) में न उलझ, अपनी सीरत पर कर गौर

सूरत है चार दिन की चांदनी , सीरत ताउम्र की सौगात

 

6.

आत्मा के उत्सव की इबारतें करें रोशन

क्यूं कर ये जिन्दगी, जिन्दगी को मोहताज़ हो

Monday 7 December 2020

तेरे चरणों में पुष्प बनकर

 

तेरे चरणों में पुष्प बनकर

 

तेरे चरणों में पुष्प बनकर मैं बिखर जाऊं तो अच्छा हो

तेरे चरणों में दीप बनकर मैं प्रज्जवलित हो जाऊं तो अच्छा हो

 

तेरे चरणों का नूर बनकर मैं खिल जाऊं तो अच्छा हो

पीर दिल की भुलाकर मैं तुझ पर समर्पित हो जाऊं तो अच्छा हो

 

तेरी इबादत के गीत बनकर मैं सँवर जाऊं तो अच्छा हो

तेरा शागिर्द बनकर मैं रोशन हो जाऊं तो अच्छा हो

 

तेरे मंदिर के बुर्ज़ पर ध्वज बन लहर जाऊं तो अच्छा हो

तेरे दीदार की आरज़ू जो पूरी हो जाए तो अच्छा हो

 

तेरे करम का सिला नसीब हो जाए तो अच्छा हो

तेरे करम से भाग्य मेरा भी रोशन हो जाए तो अच्छा हो

 

तेरे बन्दों की खिदमत में मेरी जिन्दगी गुजर जाए तो अच्छा हो

तेरे नाम के साथ खामोश हो जाए जुबाँ मेरी तो अच्छा हो

 

दिल अब भी रोता है मेरा

 

दिल अब भी रोता है मेरा

 

दिल अब भी रोता है मेरा

दिल का हर एक कोना सिसकता है मेरा

फांसी के फंदों पर झूलते उन वीरों की

उनकी माओं की सिसकती साँसों पर

 

दिल अब भी रोता है मेरा

दिल का हर एक कोना सिसकता है मेरा

 

जो जवां भी न हो सके और हो गए शहीद

उनके बलिदान उनकी वीर गाथाओं पर

दिल अब भी रोता है मेरा

दिल का हर एक कोना सिसकता है मेरा

 

जिनकी पायल की छमछम सा मधुर स्वर खो गया कहीं अन्धकार में

जिनकी चूड़ियों की खनक पर लगा गया विराम उन बहनों की व्यथा पर

दिल अब भी रोता है मेरा

दिल का हर एक कोना सिसकता है मेरा

 

वो पिता जिनके बेटों ने खुद को कर दिया देश पर कुर्बान

उनकी ग़मगीन साँसों पर

दिल अब भी रोता है मेरा

दिल का हर एक कोना सिसकता है मेरा

 

पीड़ाओं के समंदर में जो डूबे

उनकी मौत पर आज हो रही राजनीति को देखकर

दिल अब भी रोता है मेरा

दिल का हर एक कोना सिसकता है मेरा

 

क्यूं कर भूल जाते हैं लोग उनकी वफाओ का सिला

क्यूं कर राजनीति की गर्म रोटियाँ सेकने में व्यस्त हैं नेता

उन मादरे  वतन के शहीदों , उनकी क्षत्राणी माँ के लालों की शहादत पर

मगरमच्छी आंसू बहाते नेताओं को देखकर

 

दिल अब भी रोता है मेरा

दिल का हर एक कोना सिसकता है मेरा

 

शहादत उनकी बनी हमारी आजादी का सबब

क्यूं कर उनकी शहादत को मुकाम न मिला

पीर दिल की किसी को सुनाऊँ कैसे

उनकी शहादत के ज़ज्बे से इन नेताओं को मिलाऊँ कैसे

उन वीरों की शहादत को सलाम है मेरा

उन वीरों के बलिदान को प्रणाम है मेरा

 

दिल अब भी रोता है मेरा

दिल का हर एक कोना सिसकता है मेरा

Wednesday 25 November 2020

अजब पैसों की खुमारी है सर पर

 अजब पैसों की खुमारी है सर पर

 

अजब पैसों की खुमारी है सर पर

कहीं बहुमंजिला इमारत की खुमारी है सर पर

तार  - तार हो रहे हैं रिश्ते

कहीं अहं को खुमारी है सर पर

 

क्यूं कर नहीं निभाते नहीं हैं वो रिश्ते

विदेशों में बसने की खुमारी है सर पर

भाई ने भाई का सर दिया है फोड़

जायदाद के लालच की खुमारी है सर पर

 

बहनों को पराया कर दिया है उन्होंने

जायदाद लूट खाने की खुमारी है सर पर

माँ - बाप वृद्धाश्रमों की ख़ाक छानते हैं

आजाद जिन्दगी की खुमारी है सर पर

 

सिसकती साँसों के दर्द से कुछ लेना नहीं है इनका

अजब बिंदास जिन्दगी की खुमारी है सर पर

पैसों की गर्मी सर चढ़ बोलती है

रिश्तों को तोलने की खुमारी है सर पर

तेरी बगिया के फूल हैं हम

 

तेरी बगिया के फूल हैं हम

 

तेरी बगिया के फूल हैं हम

खुशबू से नवाज़ दे हमको

बहक जो जाएँ कदम

संभाल ले हमको

 

तेरे दर के चराग हैं हम

रोशन जहां दे हमको

जो रूठ जाएँ हमारे अपने

मुहब्बत का सिला दे उनको

 

तेरी अमानत हैं हम

आजमाइश से बचा हमको

तू आदिल है ऐ मेरे खुदा

आफताब सा रोशन कर हमको

 

आब  - ए  - आइना की तरह हो रोशन जिन्दगी

अपनी पनाह में ले मुझको

इकबाल बुलंद कर हम सबका

अपने इख्तियार में रख हमको

 

एतबार है तुझ पर हम सबको

अपनी इबादत का सिला दे हमको

तेरी बगिया के फूल हैं हम

खुशबू से नवाज़ दे हमको

 

Sunday 18 October 2020

पीर दिल की सुनाऊंगा सबको

 

    पीर दिल की सुनाऊंगा सबको  

 

पीर दिल की सुनाऊंगा सबको

घाव दिल के दिखाऊंगा सबको

 

बिलख रही साँसों से मिलाऊंगा सबको

घाव दिल के दिखाऊंगा सबको

 

रोटी को तरस रहे परिवारों से मिलाऊंगा सबको

घाव दिल के दिखाऊंगा सबको

 

मर गया है ज़मीर जिनका इस त्रासदी में

उन दुश्चारित्रों से मिलाऊंगा सबको

 

आंसुओं का सैलाब उमड़ रहा हर जगह

 सोये हुए लोगों जगाऊँगा सबको

 

एक लाख लोगों की शहादत पर रुलाऊंगा सबको

घाव दिल के दिखाऊंगा सबको

 

घर से क्यूं न निकलें , भूख से मर जाएँ वो

हर एक दिल की दास्ताँ सुनाऊंगा सबको

 

माँ ने खोया है अपने जिगर का टुकड़ा

बहन ने खो दिया है भाई अपना

 

उन्हें फ़र्क नहीं पड़ता ये बताऊंगा सबको

घाव दिल के दिखाऊंगा सबको


बेटी ने पूछा माँ से पापा का हाल

चीख  - चीख कर ये दास्ताँ सुनाऊँगा  सबको

 

वो नन्ही परी गयी तो फिर नहीं लौटी

उस माँ के दर्द से मिलाऊंगा सबको

 

वो हाथ ही नहीं रहे जो देते थे आशीष

अनाथ बच्चों की चीख सुनाऊंगा सबको

 

सुबक  - सुबक कर रोती हुई बच्ची ढूंढती माँ को

सिसकती साँसों के गीत सुनाऊंगा सबको

 

पीर दिल की सुनाऊंगा सबको

घाव दिल के दिखाऊंगा सबको