Thursday, 23 January 2014

आओ हम मिल दीप जलायें


आओ हम मिल दीप जलायें
आओ हम मिल दीप जलायें
धरती को हम स्वर्ग बनायें
दीपों की लड़ियों से जगमग
यह प्यारा त्यौहार
देता खुशियाँ , कर दूर अँधेरा
पावन यह त्यौहार
दीपों की इस जगमग में
बुराइयों से नाता तोड़ें
आदर्शों के दीप जलायें
पुण्य धरा को स्वर्ग बनायें
आओ हम मिल दीप जलायें
धरती को हम स्वर्ग बनायें
मानवता की बाती लेकर
संस्कृति का दीया बनायें
संस्कारों के पुण्य दीप से
दीवाली को पुण्य बनायें
धन  की देवी धन बरसाए
साथ में रिद्धि – सिद्धि भी आये
विघ्नहर्ता की पुण्य छाँव में
हर एक मानव जीवन पाए
आओ हम मिल दीप जलायें
धरती को हम स्वर्ग बनायें
अभिलाषा मन में हो सबके
हर – घर हर – मन चमके – दमके
खिले चांदनी द्वार – द्वार पर
धरती को हम रोशन पायें
संस्कृति – संस्कारों के दम पर
आओ देश खुशहाल बनायें
आओ हम मिल दीप जलायें
धरती को हम स्वर्ग बनायें

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