Friday, 3 January 2014

रेत पर घर


रेत पर घर
रेत पर घर बनाता
एक बच्चा
घर के
बार – बार
गिर जाने से
परेशान
अपने पिता से
प्रश्न करता है
पिताजी
रेत पर बना मकान
बार – बार
गिर रहा है
समझ नहीं पा रहा हूँ
ये क्यों हो रहा है ?
पिता ने
सहज भाव से
बच्चे को जवाब
दिया और कहा
बेटे
रेत मे
बचाया गया मकान
बिना किसी
ढाँचे का
बिना किसी आधार के
बगैर किसी
शक्तिवर्धक तत्व के
बगैर श्रम के
तैयार किया गया
वह मकान होता है
जो धरती पर
किसी भी जगह
किसी भी समय
किन्हीं भी
परिस्थितियों मे
तैयार किया जाए
उसे गिरना ही है
यही  सत्य है

जिंदगी मे सफल होने के लिए
इसे बार – बार
परीक्षणों से गुजरना पड़ता है
समस्याओं का सामना करना पड़ता है
कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है
संघर्षपूर्ण  जीवन जीना होता है
उर्जा प्राप्त करनी होती है
सामर्थ्यवान बनना होता है
ताकि इस शरीर को
तन के साथ – साथ
मन से भी
मजबूत बनाया जा सके

जिंदगी के तूफानों
विकराल मुंह बाती
समस्याओं से जूझकर
जीवन को अपने लक्ष्य की ओर
प्रस्थित किया जा सके

ऐसा मानव
जिंदगी मे कभी भी
टूटता नहीं है
घबराता नहीं है
चूंकि वह रेत के
मकान की तरह नहीं है
जो असमय
हवा के झोंके से ढह जाए |

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