मंद – मंद
पवन
आज मंद –
मंद पवन बह रही है क्यों
हवा में
खुस्की सी घुली है क्यों
वातावरण
में अपनापन सा लग रहा है क्यों
चारों ओर महसूस खुशबू सी हो रही है क्यों
खिलता –
खिलता आज बचपन लग रहा है क्यों
गली – गली
आज मेला सा दिख रहा है क्यों
भागता समय
कुछ क्षण के लिए रुक गया है क्यों
मुसाफिर
वृक्ष की छाँव तले विश्रामरत है यों
बादलों की
कालिमा समाप्त हो गयी है क्यों
आसमां से
तारों का टूटना बंद हो गया है क्यों
यहां
मनोहर सा दृश्य उपस्थित हो गया है क्यों
चारों ओर
चांदनी आज बरस रही है क्यों
आज आसमां
में तारे अजीब सी चमक लिए हुए हैं क्यों
संस्कृति
, संस्कारों पर चर्चा आज हो रही है क्यों
प्रकृति
में पंक्षी भी गुनगुनाने लगे हैं क्यों
चारों ओर
पुष्प खिलने लगे हैं क्यों
ये अजब से
नज़ारे आज बिखर रहे हैं क्यों
आज चाँद
सितारे ज़मीं पर नज़र आ रहे हैं क्यों
आज मंद –
मंद पवन बह रही है क्यों
हवा में
खुस्की सी घुली है क्यों
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