Thursday, 23 January 2014

हम बच्चे


हम बच्चे

हम इतने चंचल  हैं क्यों ?
हममे शालीनता नहीं है  क्यों ?

हम इतने उद्दण्ड हैं क्यों  ?
हममे सज्जनता नहीं है  क्यों ?

हमने अनुशासन को छोड़ा क्यों ?
इससे नाता जोड़ा नहीं है क्यों ?

हम किसी की सुनते नहीं है क्यों ?
हम मानते बड़ो की नहीं है क्यों ?

गलती करना हमारा अधिकार है क्यों ?
कोई रोके तो रुकते नहीं है क्यों ?

टोकना किसी का हमको भाता नहीं है क्यों ?
राह गिरे को उठाना आता नहीं है क्यों ?

हममे स्वयं पर नियंत्रण नहीं है क्यों ?
हम चाहें क्या पता यह नहीं है क्यों ?

भागते फिरते हम फिर भी है क्यों ?
कोई चाहता हमको नहीं है क्यों ?

हम गिर गिरकर उठते हैं क्यों ?
हमको रोना आता नहीं है क्यों ?

बड़ो के सम्मान से हमें लेना देना नहीं है क्यों ?
शिक्षकों के सम्मान से हमें परहेज है क्यों ?

बेफिक्र से हम जीते हैं क्यों ?
परिश्रम से हम डरते हैं क्यों ?

संयमित जीवन भाता नहीं है क्यों ?
जाना किधर है हमको पता नहीं ?

अँधेरे दलदल में भटक रहे हैं क्यों ?
परिणाम की चिंता नहीं है क्यों ?

दुनिया की परवाह करते नहीं हैं क्यों ?
भौतिक जीवन में जीते हैं क्यों ?

समाज से लेना - देना नहीं है क्यों ?
रोज गिर गिरकर संभल रहे हैं क्यों ?
कोई तो हमको राह दिखाओ
इस अन्धकार से बचाओ
नैतिकता की बातें करो
हममें जीवन आस जगाओ
करो अँधेरा जीवन से दूर
दो हमें विश्वास भरपूर             
खिला दें इस चमन को
बन जायें सबके दिल के नूर             

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