Friday, 3 January 2014

दीप



दीप

दीप बनो तुम दीप बनो तुम
चहुँ ओर उजियारा करो तुम

दीप तले अंधियारा न देखो
उजियारे का संकल्प बनो तुम

चीर अँधेरा कर उजियारा
जीवन का संघर्ष बनो तुम

जलना तो दीपक की नियति
दीपक बाती बन जलो तुम

कर सबके जीवन को रोशन
प्रकाश के आधार बनो तुम

दीपक जैसे कर्म करो तुम
पर उपकार मर्म बनो तुम

कर्म धरा के पावन पुतले
मानव श्रेष्ठ कर्म करो तुम

संस्कृति के तुम हो पालक
सर्वश्रेष्ठ संस्कार बनो तुम

मानव श्रेष्ठ धरोहर हो तुम
जीवन भर सत्कर्म करो तुम

भावी पीढ़ी के तुम हो संरक्षक
संस्कार विस्तार करो तुम

दीप बनो तुम दीप बनो तुम
चहुँ ओर उजियारा करो तुम

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