Friday, 10 January 2014

कचरा


कचरा ! कचरा ! कचरा !

कचरा ! कचरा !कचरा !
चारों ओर कचरा
यहाँ और वहाँ
जहां और तहां
फैला है केवल
कचरा कचरा कचरा
धरती में , पानी में
सही जगह कचरा
कागज़ का कचरा
प्लास्टिक का कचरा
रसोई में जो बच गया
वह भी कचरा
कचरे की माया
है अजब निराली
जिसने भी कुछ छोड़ दिया
हो गया कचरा
धरती पर जगह न बची तो
आसमां में कचरा
सागर में केमिकल का कचरा तो
आसमां में सेटेलाइट  का कचरा
मरने पर बच गया वह
अस्थियों का कचरा
ज्वालामुखी जो फूटा तो
राख के बादलों का कचरा
सुनामी जो आये तो
गाँव के गाँव बने कचरा
बाढ़ जब आये तो
फसल हो जाए कचरा
इस कचरे की माया से
कोई न बचने पाया
घर में कचरा , गली में कचरा
मोहल्ले में कचरा हो गाँव में कचरा
गाँव से जब भागे तो
शहर में पाया कचरा
पूरी दुनिया घूम आया
पाया हर जगह कचरा
ये तो हुई प्राकृतिक कचरे की बात
एक और कचरा होता है
जिसे कहते हैं सामाजिक कचरा
ये वो कचरा है
जिसमे सामाजिक परिवेश में
विचार रहे
वे आसामाजिक तत्व
जो सामाजिक बंधनों से परे
समाज में
अप्राकृतिक कृत्यों को अंजाम देते हैं
और अनुशासनहीनता का
श्रेष्ठ परिचय होते हैं
ये दुश्चरित्र समाज में
अपराध को जन्म देते हैं
अपने भृष्ट आचरण से
ये समाज को प्रदूषित करते हैं
समाज में इस प्रकार के चरित्र
अपने स्वार्थ पूर्ती हेतु
निम्न से निम्न स्तर के
कृत्य को निडरता से अंजाम देते हैं
इन प्रकार के चरित्रों में
दिल का अभाव होता है
ये जंगलियों की भांति
यहाँ से वहाँ विचरते हुए
अपने विलासिता पूर्ण  जीवन
में मस्त रहते हैं
ये संवेंदनहीन होते हैं
हम कह सकते हैं कि
ये अपनी प्रकृति के हिसाब से
जंगली होते हैं
इनमे मानवता तत्व का अभाव होता है
इनमे इंसानियत नामक तत्व की
कमी होती है
ये बुराई के सागर में
गोते लगाते हैं
इनको आसपास देख
सामाजिक प्राणी इनसे डर व भय खाते हैं
ये असामाजिक प्राणी
धूर्त वा घमंडी होते हैं
इन्हें आजकल
सुपारी किलर , मौत के दलाल , भाई
इत्यादि – इत्यादि नामों से
संबोधित किया जाता है
इनमे ज्ञान का अभाव होता है
इसलिए इन्हें
कुटिल , कुह्रिदय , अधम , खाल, दुष्ट
आदि शब्दों से भी संबोधित किया जाता है
ये पुण्य आत्माओं के लिए
पीड़ा , क्लेश, वेदना  व मृत्यु का कारण होते हैं
आइये इस बात पर ध्यान केंद्रित करें
कि प्राकृतिक कचरे को समाज से हटाना ज्यादा जरूरी है
या इस मानवरूपी असामाजिक कचरे को
आपके सुझाव के इंतज़ार में ...............................



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