Monday 20 January 2014

समय आ गया है


समय आ गया है
समय आ गया है
कुछ प्रश्नों के
उत्तर जानने का
खोजने का
ये प्रश्न
कचोटते , मन को
करते चिंतनशील
मन को , दिमाग को
मन मस्तिष्क को रौंदते
विवश करते ये प्रश्न
आज की सामाजिक परिस्थितियों ,
राजनितिक विचारधाराओं
, देश और धर्म , आस्था
और विश्वास
चलन और रिवाज ,
शिक्षा और समाज ,
वर्तमान मनोरंजन के माध्यम ,
असामाजिक पर्यावरण
यानी प्राकृतिक पर्यावरण
आधुनिकता का
इन सब विषयों पर
पड़ता प्रभाव
आधुनिकता की अंधी दौड़ में
ससकता सामाजिक परिवेश ,
अतिमहत्वाकांक्षी विचारधारा
और विलासितापूर्ण जीवन का
लेता सहारा
आज का मानव
जिससे गिरती
राजनितिक विचारधारा ,
शक्ति का होता दुरुपयोग
घुटता सामान्य जीवन
आदर्शों से खोता नाता
देश प्रेम को कर दर किनार
कुर्सी के प्रति मोह ने
भयावह राजनीतिक दृश्य को
जन्म दिया है
धर्म से घटता लगाव
विज्ञान के प्रति आकर्षण का
परिणाम बन सामने आया है
विज्ञान के प्रति
मोह ने मानव को
आदर्शों से दूर कर
एक विषम परिस्थिति
को जन्म दिया है
आस्था और विश्वास
करते कुठाराघात
धर्म और आस्था के नां पर
दुकान चलाने वाले
अपने आपको संत समाज ने
श्रेष्ठ स्थापित करने व
दिखाने की अंधी दौड़
परदे के पीछे की
उजागर होती भयावहता
धर्म भृष्ट करती मानव को
संस्कृति , संस्कारों से
समयाभाव ने चलन और
रीतिरिवाजों पर किया भरपूर वार
शोर्ट कट में होने लगे
सभी अनुष्ठान व धार्मिक कार्य
शिक्षा जगत का समाज में
पेशेवर व्यवसाय के
रूप में आना
नैतिकता के आसन को
करता डावांडोल
युवा मन मस्तिष्क पर हावी होता
यह वर्तमान शिक्षा का खेल
मनोरंजन के माध्यम ने  किया है
युवा वर्ग का सत्यानाश
गिरता आचरण ,
कुंठित युवा समाज
गर्त में जाता बचपन
तीस की उम्र में दिखता बुढ़ापा
अस्वस्थ मनोरंजन का नतीजा
समाज में फैलती
शारीरिक व मानसिक कुंठाओं
के कारण ढेर सारी
सामाजिक बुराइयां
ये एक प्रश्न को जन्म देती
आखिर अंत कहाँ है
क्या कोई हल है
इस प्रश्न का
क्या कोई राह है
क्या इन बुराइयों पर
रोक का कोई उपाय है
ढूँढना है इन
प्रश्नों के उत्तर
आपमें से किसी के पास
इन प्रश्नों के उत्तर हों तो
आइये मेरे साथ
एक स्वस्थ समाज के
निर्माण की ओर
दो कदम .....................

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