Wednesday 12 September 2018

उत्थान की ओर दो कदम



उत्थान की और दो कदम 


द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता 

जब तुम स्वयं का आत्म मंथन करने लगो
जब तुम्हारे भीतर आत्मीयता का भाव जागने लगे
जब तुम आत्मबोध का एहसास करने लगो
तब तुम मुक्ति मार्ग पर अग्रसर हो , यह महसूस करना

  
जब तुम्हारे प्रयास कर्मनिष्ठ हो, कर्मक्षेत्र का हिस्सा होने लगे
जब तम्हारी कोशिशें उत्तरदायित्व का बोध कराने लगें
जब तुम्हारे कर्म तुम्हें कर्मफल का एहसास कराने लगें
तब तुम सफलता के मार्ग पर अग्रसर हो , यह समझ लेना

  
जब तुम्हारी मुखकृति से देवत्व का आभास होने लगे
जब तुम्हारा हर एक कर्म , धर्म का प्रतीक महसूस होने लगे
जब तुम्हें सभी देव का अवतार समझ पूजने लगें
तब तुम समझना कि तुम एक पुण्यात्मा हो इस धरा पर विचार रहे हो
  

जब तुम्हारी चरण धूलि दूसरों के माथे का चन्दन होने लगे
जब लोग तुम्हारे आभामंडल के दर्शन को लालायित होने लगें
जब तुम्हारे सद्विचार दूसरों के जीवन को दिशा दिखाने लगें
तब समझना कि तुम एक पुण्य कृति हो , दूसरों का उद्धार कर रहे हो


Monday 3 September 2018

असंभव को संभव कर


असंभव को संभव कर

असंभव को संभव कर, महानायक बनो
कुछ दर्द चुनो, कुछ अश्रू चुनो
किसी की साँसों का मरहम बनो
असंभव को संभव कर महानायक बनो

कुछ मानव प्रेम के मूल्य रचो
कुछ जीवन मूल्य के गीत रचो
कुछ त्याग के सुख की सोचो  
असंभव को संभव कर महानायक बनो

नवजागरण के नायक बनो
सत संदेशों की रचना करो
ज्ञान के आलोक से स्वयं को पुष्पित करो
असंभव को संभव कर महानायक बनो

उनके जीवन की दास्ताँ सुनो
कटे पंखों के साथ विचार रहे जो
सत्याग्रह को जीवन का अस्त्र करो
असंभव को संभव कर महानायक बनो

असंभव को संभव कर, महानायक बनो
कुछ दर्द चुनो, कुछ अश्रू चुनो
किसी की साँसों का मरहम बनो
असंभव को संभव कर महानायक बनो


हमको तुम समझाओ न


हमको तुम समझाओ न

हमको न समझाओ तुम , हमें न यूं बहलाओ तुम
हमको तुम चंचल न समझो , कर्तव्य राह बतलाओ तुम

हम तो हैं माटी के ढेले, रूप हमें दिखलाओ तुम
हम क्या जानें सच और झूठ , सच की राह बतलाओ तुम

तन से कोमल, मन से पावन, हमको खुद से मिलाओ तुम
छू सकें आसमां हम भी, ऐसी राह दिखाओ तुम

हमको भी प्यारी है मंजिल , सही राह दिखलाओ तुम
गीत बनकर सजें लबों पर, संगीत से हमें सजाओ तुम

पावन हो जाएँ मन हमारे, मन में संस्कार जगाओ तुम
धर्म पथ पर बढ़ चलें हम, धर्म की राह दिखाओ तुम

हमको भी है प्यारा आसमां, मंजिल का मर्म समझाओ तुम
हम भी करें इस धरा को पावन, हम पर विश्वास दिखाओ तुम

हम हैं नन्हे – नन्हे बालक, सुन्दर हमें बनाओ तुम
सबके दिलों पर राज़ करें हम, ऐसा हमें बनाओ तुम

 हमको न समझाओ तुम , हमें न यूं बहलाओ तुम
हमको तुम चंचल न समझो , कर्तव्य राह बतलाओ तुम