Thursday 23 January 2014

गुलिस्तान में भारत के


गुलिस्तान में भारत के

गुलिस्तान में भारत के
खिलती बहार है
गुंचा – गुंचा करता
इस बात की पुकार है
पलते हैं धर्म सभी यहाँ
धर्मनिरपेक्षता की फैली यहाँ बिसात है
जिस पर लग रहे सभी धर्मों के मेले
कभी यहाँ होती दीपावली की रोशनी
क्रिसमस की जगमगाहट
होली के रंग में
अठखेलियाँ करते सभी धर्म के लोग
कभी ईद पर सेवियों का आनंद उठाते सभी
कभी  गुरुद्वारे से निकलती
गुरुवाणी के स्वर
जीवन को आध्यात्म की ओर
मुखरित करते
मस्जिद में कुरान की आयतें
अल्ला ताला से
नज़रे करम की इनायत करते
मंदिरों से मुखरित होती
घंटों की ध्वनि उस परमात्मा से
दिलों के तारों को जोड़ती
यह वो देश है
जहां हिमालय की चोटियाँ
इसकी गौरवपूर्ण गाथा को
बयान करती है
एतिहासिक धरोहर यहाँ की
गरिमामय शिल्पकला की
अनूठी मिसाल पेश करती
इस देश का संगीत
जिस पर पूरा विश्व थिरकता
संस्कृति इस देश की
विविधता धारण किये
विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता
संस्कारों की पुण्य भूमि यह
पत्थरों को देव करती
जल जलदेव कहलाता
अग्नि अग्निदेव हो जाता
सूर्य सूर्यदेव बन खिल जाते
चंद्रमा चंद्रदेव हो जाता
प्रकृति यहाँ की
बिखेरती अनुपन छटा की बहार है
फूलों का देश यह
खुशबुओं का देश यह
मंदिर , मस्जिद, गुरुद्वारों , चर्चों का
देश यह
ताज इसका मुकुट
हवा महल इसकी शान हैं
लाल किला राष्ट्र प्रतीक
यहाँ का संगीत बेमिसाल है
वेशभूषा खान पान
रीति रिवाज निराले यहाँ के
विभिन्नता में एकता को संजोये
विश्व शांति का देवदूत यह देश
भाईचारे की संस्कृति को पुष्ट करता यह देश
भगत , उधम की कर्मभूमि यह
बिस्मिल, लक्ष्मीबाई की धर्म भूमि यह
जवाहर , गाँधी , पटेल , तिलक
बोस की कर्मभूमि यह
गली – गली यहाँ खिलते
तारे ज़मीं पर हज़ार हैं
पुण्य संस्कृति के सागर को
अपने में संजोये यह देश
आध्यात्म के इसका कोई मोल   नहीं
यहाँ के योग का कोई तोल  नहीं
गुरु – शिष्य परम्परा यहाँ की
लाजबाब है
शिक्षा यहाँ की बेमिसाल है
विश्व की आँखों का तारा
सबका दुलारा सबका प्यारा
भारत हमारा भारत हमारा

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