Friday, 10 January 2014

जीवन को तुम संजोये रखना


जीवन को तुम संजोये रखना

जीवन को तुम संजोये रखना
जीवन को अपने तुम न खोना
समय को बना आदर्श की पूँजी
निर्विघ्न तुम बढते ही जाना
खिलना धरा पर पुष्पित होकर
पुण्य मार्ग अग्रसर तुम होना
संघर्ष को बना अपना शस्त्र
चुनोतियों का सामना करना
दुर्बलता त्याग नम्रता अपनाना
अविराम तुम बढते जाना
कल्पनाओं के सागर में न गोते लगाना
एकाग्रचित हो आगे बढते जाना
रात्री के अँधेरे से न डरना
भोर की किरणों से तुम ऊर्जा पाना
आकाश सा विशाल ह्रदय कर अपना
निर्विघ्न तुम मंजिल पाना
अहंकार के अनुयायी न होना
केवल मंजिल को अपना ध्येय बनाना
मित्र तुम्हारा हो स्वयं का परिश्रम
स्वयं को नियंत्रित कर आसमां छूते जाना
विश्वास स्वयं पर कर अग्रसर होना
चीर हवाओं का सीना तुम पर्वत पार जाना
आँधियों को अपना मित्र बनाना
जीवन को संजोकर अविराम बढते जाना



No comments:

Post a Comment