सामने समय खड़ा है
सामने समय खड़ा है
हो
सके तो पकड़
देख
अपनी जिन्दगी में
फिर
एक नयी सुबह
सामने समय खड़ा है
हो
सके तो पकड़
कशमकश
में तू न रह
कल
पर कुछ न छोड़
कूद
वादियों में कर्म की
पाल
न आराम का मोह
सामने समय खड़ा है
हो
सके तो पकड़
भीड़
का हिस्सा न बन
रास्ते
निर्माण कर
हवाओं
को तू मोड़ दे
मंजिल
को अपने बस में कर
सामने समय खड़ा है
हो
सके तो पकड़
किस्मत
के सहारे न रह
किस्मत
को मुटठी में कर
पंख
फैला उड़ गगन में
रास्ते
विस्तार कर
सामने समय खड़ा है
हो
सके तो पकड़
No comments:
Post a Comment