पाश्चात्य
से हमने क्या सीखा
हवा में
अजीब सी
गंदगी घुल
गई है
मानव
मस्तिस्क पर
विपरीत
असर कर रही है
बात मैं
हवा की
नहीं कर
रहा हूँ
मैं हवा
के माध्यम से
हमारे
चारों ओर के
सामाजिक
परिवेश की चर्चा
कर रहा
हूँ
पाश्चात्य
से बटोरा है हमने
कामग्रसित
समाज
जिसने
हमारी भावनाओं को
काम
वशीभूत किया है
लिया है
हमने पाश्चात्य से
अतिमहत्वाकांक्षी
होने का मन्त्र
जिसने
हमें हमारे सामाजिक
परिवेश
में
अनुशासनहीन
जीवन
जीने की
ओर अग्रसर किया है
जाना है
हमने पाश्चात्य से
न्यूक्लीयर
युक्त
समाज में
जीवन जीने
का तंत्र
इस तंत्र
ने
मानव
सभ्यता को
इसके अंत
पर लाकर
खड़ा किया
है
पाश्चात्य
से हमने सीखा है
वर्णशंकर
युक्त
नई पीढ़ी
के साथ
जीवन जीने
का मार्ग
यह मार्ग
बड़ा आसाँ है
हमारे
भारत धर्म
भारतीय
संस्कृति को
अधोगति
में
ले जाने
के लिए
चाहिए तो
था
हम बटोरते
कुछ ऐसा
पाश्चात्य
संस्कृति से
जो उसे
हमसे
कुछ
मायनों में
आदर्श
बनाती है
जैसे कि
हम उनकी
ही तरह
ईमानदार
होते
राष्ट्र
के प्रति
समर्पित
होते
राष्ट्रप्रेमी
होते
अनुशासित
होते
जो हमें
सम्पूर्ण ,
मानव बनने
में
सहायक
होती
हम एक
आदर्श
भारतीय समाज
का
निर्माण कर पाते
हम आसमां
पर चमकते
न कि
भ्रष्टाचार ,
बलात्कार ,अपराध
की सूची
में
सबसे ऊपर
होते
सबसे ऊपर
होते
सबसे ऊपर
होते|
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