मैं क्या बनूँ माँ ?
बच्चे ने मासूमियत भरे अंदाज़ मे माँ से बोला
मैं क्या बनूँ ?
माँ ने सरल भाव से कहा
सबसे पहले तू आदमी बन
माँ आदमी कैसा होता है ?
कैसा उसका जीवन होता है ?
बच्चे ने पूछा
आदमी साधारण होता
गाँधी सा उसका जीवन होता
गाँधी से वह कपड़े पहनता
उनकी ही तरह भोजन करता
सबके दिलों पर राज करता
पर
गाँधी ही क्यों बनूँ माँ ?
बच्चे ने पूछा
गाँधी बन तू
कर अहिंसा
सत्यपथ पर चले तू
स्वतंत्रता की बात कर
देशी वस्त्रों पर वरे तू
कहे हमेशा सत्य तू
सत्यमार्ग पर चले तू
कर्म का दामन पकड़
कर्म धरा पर उतरे तू
अहिंसा की वादियों मे
पंक्षी बन उड़े तू
बापू भी तू कहलाये
राष्ट्रपिता भी तू बन जाए
बात से अपनी पस्त करे तू
कभी न बुरा बोले तू
कभी बुरा न कहे तू
कभी बुरा न सुने तू
ये सारे गुण
तू अपने अंदर जगाकर
आगे बढ़ जीवन गढ़
दूसरों के लिए दिग्दर्शक बने तू
सबसे पहले आदमी बने तू
सबसे पहले आदमी बने तू
सबसे पहले आदमी बने तू
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