Saturday 4 January 2014

क्षणिकायें


क्षणिकायें
कोई तो रोशन करो
मेरी तनहा राहों को
कोई तो पंख दो
मेरे विचारों को
कोई तो चुनो
मेरी राहों के कांटे
कोई तो मुझे
आसमां की उड़ान दो


जी रहा हूँ इस उम्मीद मे
आने वाला कल मेरा होगा
हर पल मेरा होगा आसमां  मेरा होगा
चीर कर बढूंगा हवाओं का सीना
मंजिल मेरी बाहों का हार होगा

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