कलम का जादू
उसकी कलम का जादू सर चढ़
बोल रहा है
वो साहित्य के समंदर में खुशबू घोल रहा है
उसने खाए हैं ज़ख्म ज़माने में
उसके भीतर का दर्द बोल रहा है
खुशबू कभी नहीं मिली उसको फूलों से
वो कागज़ पर खुशबू के बीज बो रहा है
मिलेगी राह उसको भी इसी उम्मीद पर
वो आंसुओं की माला पिरो रहा है
राह में उसकी कांटे ही कांटे हैं
वह दूसरों की राह के कांटे बटोर रहा है
कलम उसी भी रोकने की कोशिश की ज़माने ने
कलम की नज़र से वो दिलों में उतर रहा है
इंसानियत पर भरोसा सदा से रहा है उसको
कलम से वो लोगों के गम पी रहा है
वक़्त की मार भी क्या चीज होती है जालिम
वो सोने की तरह खरा हो रहा है
कलम की मार पर न जाओ यारों
ये तो सोये लोगों के भाग्य जगाती है
कलम के साए से बच न सका कोई
ये तो हर एक को मुकाम दिलाती है
कलम का सम्मान करें हम सब
संभालकर रखें इसे अपनी जान की तरह
उसकी कलम का जादू सर चढ़
बोल रहा है
वो साहित्य के समंदर में खुशबू घोल रहा है
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