Wednesday, 16 September 2015

कलम का जादू

कलम का जादू

उसकी कलम का जादू  सर चढ़ बोल रहा है
वो साहित्य के समंदर में खुशबू घोल रहा है

उसने खाए हैं ज़ख्म ज़माने में
उसके भीतर का दर्द बोल रहा है

खुशबू कभी नहीं मिली उसको फूलों से
वो कागज़ पर खुशबू के बीज बो रहा है

मिलेगी राह उसको भी इसी उम्मीद पर
वो आंसुओं की माला पिरो रहा है

राह में उसकी कांटे ही कांटे हैं
वह दूसरों की राह के कांटे बटोर रहा है

कलम उसी भी रोकने की कोशिश की ज़माने ने
कलम की नज़र से वो दिलों में उतर रहा है

इंसानियत पर भरोसा सदा से रहा है उसको
कलम से वो लोगों के गम पी रहा है

वक़्त की मार भी क्या चीज होती है जालिम
वो सोने की तरह खरा हो रहा है

कलम की मार पर न जाओ यारों
ये तो सोये लोगों के भाग्य जगाती है

कलम के साए से बच न सका कोई
ये तो हर एक को मुकाम दिलाती है

कलम का सम्मान करें हम सब
संभालकर रखें इसे अपनी जान की तरह

उसकी कलम का जादू  सर चढ़ बोल रहा है
वो साहित्य के समंदर में खुशबू घोल रहा है





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