Sunday, 27 September 2015

आदमियत के एहसास से क्यों घबरा रहे हैं लोग

आदमियत के एहसास से  क्यों घबरा रहे हैं लोग

आदमियत के एहसास से क्यों घबरा रहे हैं लोग

इस धरती को छोड़ , आसमां पर घर क्यों बना रहे हैं 

लोग


स्वयं से स्वयं को परिचित क्यों नहीं कर रहे हैं लोग

धरती को छोड़ आसमां को जन्नत बनाने की क्यों 

सोच  रहे हैं लोग


पत्र – पत्रिकाएं पढ़ समय क्यों गंवा रहे हैं लोग

बेकार की ख़बरों में खुदको क्यों उलझा रहे हैं लोग



पढ़ते नहीं धर्म, संस्कृति , संस्कार और आदर्शों की 

बातें

बेकार यूं ही खुद को बहला रहे हैं लोग



इशारा खुदा का समझते नहीं हैं लोग

उम्मीद यूं ही दिल में जगाये हुए हैं लोग


उस खुदा की आरज़ू करते नहीं हैं लोग

मन ही मन खुद को बहलाए हुए हैं लोग



औकात में अपनी क्यों रहते नहीं हैं लोग

कद्र अपनी क्यों करते नहीं हैं लोग


कुदरत के क़ानून को क्यों समझते नहीं हैं लोग


खुदा की इबादत क्यों करते नहीं हैं लोग 

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