Sunday 13 September 2015

वो चाहकर भी , आधुनिक न्दगी के हो न सके

वो चाहकर भी


वो चाहकर भी, आधुनिक जिन्दगी के हो न सके
उनके आदर्श उनकी धरोहर हो गए

भीतर की ज्वाला भी , उन्हैं प्रेरित न कर सकी
उनके संस्कार उनकी धरोहर हो गए

एक अजाब सी कसक थी उनके भीतर कहीं
मानवीय संवेदनायें उनकी धरोहर हो गए

जिन्दगी में लालसा को जगह मिल न सकी
उनके ज़ज्बात उनकी धरोहर हो गए

व्याकुलता उनके जीवन का हिस्सा न हो सकी
उनके सद आचरण उनकी धरोहर हो गए

आचरण में उनके गज़ब के संस्कार थे
उनकी शालीनता उनकी धरोहर हो गए

विपत्ति में  भी न भागना स्वभाव  था उनका
उनके प्रयास उनकी धरोहर हो गए







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