Sunday 13 September 2015

ख्वाहिशों के बाज़ार में

ख्वाहिशों के बाज़ार में

ख्वाहिशों के बाज़ार में , खुद को यूं न उलझाना
खुद को यूं गुमराह न करना, खुद को यूं न भटकाना
होना न गिरफ्तार बिलासिता में, खुद कोयूं भूल न जाना
जीबन हो तेरा संयम से परिपूर्ण, खुद को यूं न लजाना
करम हो तुझ पर उस खुदा का, खुद को यूं न बहकाना
चलो तुम राह अभिनन्दन , खुद को यूं न झुठलाना
जज करो तुम उस खुदा का अभिवादन, खुद को इबादत राह ले जाना 
तू उसकी आँखों का नूर होकर, खुद को जन्नत राह लेजाना
करो स्वाकार तुम उसकी सत्ता, खुद को उसकी राह ले जाना
उसकी कृपा के पात्र होकर , खुद को अभिनन्दन मार्ग ले जाना
तुम अल्पभाषी , खुद की निगाहों में न गिर जाना
स्वयं को करो तुम स्थापित , खुद को राह से न भटकाना
अविलम्ब बढ़ते रहना है तुमको, मंजिल की राह से न हट जाना
स्वयं पर तुम करो भरोसा , तुन्हें है मंजिल पार जाना
शुभ इच्छा हो तेरी नियति, खुद को उत्कर्ष मार्ग दिखलाना
करो उपकार तुम सब पर, इंसानियत का धर्म अपनाना
ख्वाहिशों के बाज़ार में , खुद को यूं न उलझाना
खुद को यूं गुमराह न करना, खुद को यूं न भटकाना


No comments:

Post a Comment