Tuesday 15 September 2015

कर्मपथ पर बढ़ते चलो

कर्म  पथ चलते रहो.

कर्म पथ चलते रहो,
भाग्य के मरोसे मत रहो

आलसी न होना तुम
परिश्रम करते रहो

कर्म से तुम मत डरो.
'लक्ष्य पर बढ़ते रहो.

ध्येय से तुम मत डिगो
अविराम बढ़ते चलो

आलस का मोह छोड़
'कर्मप्रिय तुम हो चलो

अवगुर्णों की खान आलस
हो सके तो तुम बचो

कठिनाइयों से मत डरो
'अविराम बढ़ते चलो

उद्यम सफलता की है कुजी
हों सके तो उयम करो

कर्महीन को कोई न पूछे
कर्मराह बढ़ते चलो

लेखनी का लेकर सहारा '
ऑदर्श चरित्र तुम गढ़ो 

कर्म पथ चलते रहो
भाग्य के भरोसे मत रहो





No comments:

Post a Comment