Sunday 13 September 2015

मुहब्बत के चंद पल

मुहब्बत के चंद पल

मुहब्बत के चंद पल
मेरे जीने का सामान हो गए

हम एक दूसरे में इतना खो गए
कि बदनाम हो गए

सूझता नहीं था एक दूसरे के सिवा कुछ हमको
हुआ यूं कि हम सरे आम हो गए

उनकी आगोश एहसासे - जन्नत थी 
ये देख कई आशिके-आबारा हैरान हो गए

उनकी आँखों ने किया हमको मुहब्बत का खुदा
यूं ही नहीं हम बदनाम हो गए

इम्तिहां और मुहब्बत के अमी बाकी थे.
खुदा की निगाह में हम पैगामे-मुहब्बत हो गए

इश्क की नजाकत क्‍या बयाँ करें हम
यूं ही नहीं किसी के दिल का हम अरमान हो गए

करम खुदा का हमारी मुहब्बत पर कुछ इस तरह हुआ
चंद दिनों में ही हम खुदा के दर का चिरागे-इश्क हो गए





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