१.
शिक्षा मनुष्य को अज्ञान के अंधे कुएं से
बाहर निकालकर प्रकाश रूप ज्ञान की ओर
मुखरित करती है |
२.
कृतज्ञता व्यक्त करना एक स्वाभाविक प्रक्रिया होनी
अत्यंत आवश्यक है | इससे दूसरों के प्रति शुभ इच्छा
रखने वाले व्यक्ति को भविष्य में भी इसे अपने आचार-
विचार का हिस्सा बनाने में मदद मिलती है | और वह
जन कल्याण को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लेता है |
3.
अच्छा परिणाम, किये गए प्रयासों से
ज्यादा प्रभावित नहीं होता, वह प्रभावित
होता है आत्मविश्वास से |
4.
समाधि में स्थित मनुष्य के लिए जय-पराजय ,
सुख-दुःख, समाज, परिवार , मोह , लोभ आदि
विषय गौण हो जाते हैं | वह केवल मोक्ष की प्राति
की ओर अग्रसर होता है | यह असाधारण मानव की
परमात्मा से शुभ मिलन की शुभ अवस्था होती है|
5.
किसी व्यक्ति की प्रशंसा , उसके द्वारा किये गए प्रयासों
का सुइच्छित परिणाम की तारीफ़ तो है ही ,
साथ ही साथ यह मनुष्य को श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम
की ओर ले जाता है |
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