सदविचार ( मेरे स्वतंत्र विचार )
* विवेक जीवन को ऊँचाइयों की ओर प्रस्थित करता है जबकि
अविवेक विनाश की ओर |
* लालसा लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग से मनुष्य को श्रमित करती है |
* कर्तव्य मार्ग पर बढ़ते रहना स्वयं को अभिनन्दन मार्ग की
ओर ले जाना है |
* किसी का उपहास स्वयं को अहंकारी पारिभाषित करना है |
* अपराधबोध तब होता है जब हम किसी कार्य के प्रति
ईमानदार नहीं होते |
* ईमानदार चरित्र किसी देश की सामाजिक एवं संस्कृतिक
धरोहर होते हैं |
* लेखक जब किसी विषय पर चिंतन प्रक्रिया से गुजरकर लेखन
कार्य करता है तब वह उस विषय के साथ न्याय करता है |
* संदेह सुविचारों को भी कुविचारों में परिवर्तित कर दिशा
भ्रमित करता है |
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