चरित्रों की वर्तमान श्रृंखला में
चरित्रों की वर्तमान श्रृंखला में
आदर्शों की पूंजी
बिखरी – बिखरी सी
संस्कृति और संस्कारों की प्रतिष्ठा
नीरस – नीरस सी
भावनायें और संवेदनायें स्वयं को
टटोलती – टटोलती सीं
विचारों की मौलिकता
एवं
मर्यादित व्यवहार
एक दूसरे को
खोजतीं – खोजतीं सी
चरित्रों की वर्तमान श्रृंखला में
मानवता और सहृदयता
ढूंढती – ढूंढती सी
राष्ट्रीयता और एकता
विस्मय से एक दूसरे को
देखती – देखती सी
आत्मीयता और उदारता
एक दूसरे पर
हंसती – हंसती सी
चरित्रों की वर्तमान श्रृंखला में
इंसानियत और ईश्वरता
प्रश्नवाचक चिन्ह में
एक दूसरे को
घूरती – घूरती सी
कुटिल विचारों से परिपूर्ण
आधुनिक संस्कृति
लिव – इन – रिलेशन से उपजते
आधुनिक संस्कार
पेशेवर हुए
मर्यादा के बाज़ार
इन्टरनेट से विकसित होता
असामाजिकता का संसार
वर्णशंकर रुपी आधुनिक
गंधहीन पुष्पों से
रचता – बसता संसार
क्या नास्तिकता की
आस्तिकता पर
विजय को कर रहा चरितार्थ
क्या आधुनिकता का यह रूप
वर्तमान सामाजिक परिवेश को
कर रहा संबल प्रदान
क्या प्रासंगिक मन्त्रों पर
चढ़ रहा
इन्टरनेट रुपी
आधनिक मन्त्रों का प्रभाव
क्यों ये परिवर्तन , क्यों ये
कुठाराघात
क्यों नहीं भाते हमें
संस्कृति और संस्कार
क्यों नहीं जागती हममे
संवेदना और सहृदयता
क्यों नहीं है आत्मीयता और उदारता
से साथ
क्यों हुए हम इन
वर्तमान चरित्रों की
श्रृंखला के पात्र
क्यों हुए हम ....................
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