Friday, 6 February 2015

ठिकाना मेरा तेरी जन्नत हो जाए तो अच्छा

ठिकाना मेरा तेरी जन्नत हो जाए तो अच्छा

ठिकाना मेरा तेरी जन्नत हो जाये तो अच्छा
मेरी इबादत पर तेरा करम हो जाए तो अच्छा

सफल मेरा हर एक प्रयास हो जाए तो अच्छा
मुझको ऐ मेरे खुदा तेरा दीदार हो जाये तो अच्छा

सिंहासन मुझको भी नसीब हो जाए तो अच्छा
सिफारिश जो तेरी ऐ मेरे खुदा लग जाए तो अच्छा

सूर्य सा प्रकाश मुझे भी मिल जाए तो अच्छा
चाँद सा आसमान मुझे भी नसीब हो जाए तो अच्छा

अभिनन्दन हर जगह मेरा भी हो जाए तो अच्छा
मेरी भी दो चार पुस्तकों का विमोचन हो जाए तो अच्छा

मेरी कविताओं से सभी खुश हो जाएँ तो अच्छा
दो चार पुरस्कार मुझे भी मिल जाएँ तो अच्छा

दिल से घमंड दूर, मेरे खुदा हो जाए तो अच्छा
दिल मेरा तेरे नूर से मेरे खुदा खिल जाए तो अच्छा
मुझे भी खूबसूरत शरीक़े हयात मिल जाए तो अच्छा
मेरे घर आंगन में भी दो चार फूल खिल जाएँ तो अच्छा

धर्म की राह पर मुझे भी तू ले जाए तो अच्छा
जीवन मेरा भी तेरे करम से संवर जाए तो अच्छा

सारांश जिन्दगी का मुझे भी समझ आ जाए तो अच्छा
अंतिम समय ऐ मेरे खुदा तेरा एहसास हो जाए तो अच्छा


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