जी रहे हैं सब इस शहर में बेज़ार से
जी रहे हैं सब इस शहर में बेज़ार
से
कोई तो हो ऐसा अपना कहें जिसे
ढूंढता फिर रहा हूँ तुझसा कोई
जानशीं
कोई तो हो ऐसा तुझसा कहें जिसे
हसरत है दिल में दीदार उस खुदा का
हो
ऐसा शख्स कहाँ से लाऊँ खुदा कहें
जिसे
गरीबी में तंगे हाल जी रहे हैं सब
ऐसा कहाँ से पाऊँ खुदा का बन्दा
कहें जिसे
हर शख्स में कोई न कोई कमी तो है
ऐसा तो कोई हो कि सब अच्छा कहें
जिसे
पालते नहीं हैं खौफ उस खुदा का वो
ऐसा कोई शख्स दिखा दो खुदा का
जानशीं कहें जिसे
पालने में रो रहा है वो बालक फूट-
फूटकर
कोई तो हो ऐसा हम माँ कहें जिसे
वफ़ा की राह इतनी भी आसान नहीं है
कोई तो ऐसा हो मुहब्बत का खुदा
कहें जिसे
देखते हैं कई मंज़र हम रोज़ चौराहों
पर
ऐसा भी कोई हो इंसानियत का खुदा
कहें जिसे
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