Friday, 6 February 2015

हम अपनी मुहब्बत को बयान नहीं करते

हम अपनी मुहब्बत को बयान नहीं करते

हम अपनी मुहब्बत को बयान नहीं करते
करते हैं उनसे मुहब्बत , पर उनकी  तमन्ना नहीं करते
उनको इस बात की शिकायत रहती है हमसे
हम हैं कि इसका जिक्र किसी से नहीं करते

हम चाहते हैं वो रहें परदे में हमेशा
उनकी इस खूबसूरती पर हम रश्क़ नहीं करते 
उन्हें अपने हुस्न पर गज़ब का गुमान है
हम इसे उनकी नासमझी नहीं कहते

चाहत की दुनिया ने खाए हैं धोखे बहुत
हम हैं कि इसे उनकी बेवफाई नहीं कहते
इश्क के बाज़ार में कोई चीज़ मोल नहीं मिलती
हम इसे हुस्न के खरीदारों का बाज़ार नहीं कहते

उन्हें पाकर भी खोने का गम लिए फिर रहे हैं हम
हम हैं कि इसे मुहब्बते बेवफाई नहीं कहते

उनकी निगाह में मेरा इश्क कुछ भी नहीं
हम इसे उनकी बदकिस्मती नहीं कहते

यूं ही हम तुमसे मुहब्बत नहीं करते
अंजामे मुहब्बत की हम परवाह नहीं करते
तेरी गली के रोज़ चक्कर लगायेंगे हम
मुहब्बत के दुश्मनों की हम परवाह नहीं करते


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