गज़ब का अंदाज़ उनका , उस पर मुहब्बत
का शुरूर
गज़ब का अंदाज़ उनका , उस पर
मुहब्बत का शुरूर
गज़ब की हर अदा उनकी , उस पर इश्क
का जुनून
मखमली हुस्न से सजाया है खुदा ने
उसको
यूं ही नहीं उसको अपनी खूबसूरती
का गुरूर
मुझे सजा दो , मेरे प्यार को गाली
न दो
मुझको मिटा दो , मेरे प्यार को
गाली न दो
मुहब्बत को खुदा की नैमत समझ
क़ुबूल किया है मैंने
मुझे सूली पर चढ़ा दो , मेरे प्यार
को गाली न दो
जिगर में मैंने तुझको यूं ही जगह
नहीं दी है
खुद को फना किया है तेरे इश्क में
जानम
यूं ही नहीं तुझको इश्क़ का खुदा
माना
खुदा से ज्यादा तुझको तरजीह दी है जानम
जहां में और भी होंगे मुहब्बत के
चाहने वाले
मैं जानता हूँ मेरी मुहब्बत का
कोई मोल नहीं
जूनून की हद तक तुझे चाहता हूँ
मैं जानशीं
मैं जानता हूँ मुहब्बत में मुझसा
कोई काबिल नहीं
जख्मों का क्या है ये तो एक दिन
भर ही जायेंगे
पर वो हसीं पल हम कभी भूल नहीं
पायेंगे
मुहब्बत में बेवफाई हम कभी सह न
पायेंगे
ज़ख्मों का क्या है ये तो एक दिन
भर ही जायेंगे
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