Wednesday 4 February 2015

गर फूलों की खुशबू का नाम है जिन्दगी

गर फूलों की खुशबू का नाम है जिन्दगी

गर फूलों की खुशबू का नाम है जिन्दगी
तो काँटों से रूबरू होना भी है जिन्दगी

गर खुशियों का समंदर है जिन्दगी
तो आंसुओं का सैलाब भी है जिन्दगी

कहीं आने वाले बच्चे की किलकारी है जिन्दगी
तो कहीं जिन्दगी का अंतिम पड़ाव है जिन्दगी

गर कहीं आसमान पर रोशन हो रही जिन्दगी
तो कहीं दूर किसी अँधेरे कोने में उजाले का इंतज़ार करती जिन्दगी

गर कहीं दूर सीमा पर प्रेयसी से मिलने की आस है जिन्दगी
तो घर के आँगन में पीया मिलन की आस है जिन्दगी

गर दीपक का प्रकाश है जिन्दगी
तो दीपक तले का अन्धकार भी है जिन्दगी

गर कहीं द्रोपदी का चीरहरण है जिन्दगी
तो कहीं लक्ष्मीबाई का समर्पण भी है जिन्दगी

गर कहीं नाविक की पतवार है जिन्दगी
तो कहीं लहरों के थपेड़ों से दो चार होती भी है जिन्दगी

गर कहीं बारिश का अनुपम एहसास है जिन्दगी
तो कहीं चिलचिलाती धूप से लड़ती जिन्दगी

गर कहीं रात का सन्नाटा है जिन्दगी
तो कहीं कोलाहल से भरपूर है जिन्दगी

गर कहीं जवानी का जोश है जिन्दगी
तो कहीं बुजुर्गों की छाँव है जिन्दगी

गर कहीं सफलता का आधार है जिन्दगी
तो  कहीं सफलता को जूझती जिन्दगी

गर कहीं माँ की लोरी है जिन्दगी
तो कहीं संगीत की धुन है जिन्दगी

गर कहीं माँ के स्नेह से सराबोर जिन्दगी
तो कहीं अनाथों की तरह खुद को ढोती जिन्दगी

गर कहीं उपहास का विषय होती जिन्दगी
तो कहीं खुदा का एहसास होती जिन्दगी

गर कहीं धार्मिकता का आडम्बर होती जिन्दगी
तो कहीं धार्मिक आस्था का परिचय है जिन्दगी

गर कहीं अर्थपूर्ण दिलासा है जिन्दगी
तो कहीं फरेब का नकाब ओढ़े जिन्दगी

गर कहीं संस्कारों से ओतप्रोत जिन्दगी
तो कहीं संस्कारों को टोहती जिन्दगी

गर कहीं प्रेम भरा निमंत्रण है जिन्दगी
तो कहीं द्वेष से आलिंगन बद्ध जिन्दगी

गर कहीं माँ का दुलार है जिन्दगी
तो कहीं शिक्षक की डांट है जिन्दगी

गर कहीं चौपड़ का खेल है जिन्दगी
तो कहीं जिन्दगी को खेल समझती जिन्दगी

गर कहीं पथिक की राह है जिन्दगी
तो कहीं राह निर्मित करती जिन्दगी

गर कहीं पाठशाला है जिन्दगी
तो कहीं मधुशाला है जिन्दगी

गर कहीं पक्षियों का मधुर आलाप है जिन्दगी
तो कहीं करूण पुकार है जिन्दगी

गर कहीं उपासना का विषय है जिन्दगी
तो कहीं जीवन का अर्थ खोजती जिन्दगी

गर कहीं प्रमाद में स्वयं को भूलती जिन्दगी
तो कहीं दूसरों का जीवन  संवारती जिन्दगी

गर कहीं श्रृंगार है जिन्दगी
तो कहीं व्यवहार है जिन्दगी

गर कहीं सत्य का विषय होती जिन्दगी
तो कहीं सत्य की खोज में व्यस्त जिन्दगी 

गर कहीं भक्ति रस से परिपूर्ण  जिन्दगी
तो कहीं भक्ति रस से अनभिज्ञ जिन्दगी

गर कहीं सुदामा की मित्रता है जिन्दगी
तो कहीं चन्द्रगुप्त की कटिबद्धता है जिन्दगी

गर कहीं जीवन की प्यास है जिन्दगी
तो कहीं जीवन की आस है जिन्दगी

जिन्दगी के सत्य निराले
जिन्दगी की शान निराली

कहीं गर्व का विषय होती जिन्दगी
तो कहीं मर्म का विषय होती जिन्दगी

जिन्दगी चलते रहने का नाम है
जिन्दगी, जियो और जीने दो का आगाज़ है

कहीं दूसरों के ग़मों को पी लेने का नाम है जिन्दगी

तो कहीं स्वयं के अस्तित्व को पहचानने की कोशिश है जिन्दगी 

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