Friday, 6 February 2015

तेरी इबादत मेरा ईमान हो जाए

तेरी इबादत मेरा ईमान हो जाए

तेरी इबादत ,मेरा ईमान हो जाए
तेरा इम्तिहान ,मेरा इल्म हो जाए
गर है तुझे ,मुझ पर एतबार
मेरा खुदा , मेरा भगवान् हो जाए

किस्मत के सहारे ,जीना हमें नहीं
खामोश जिन्दगी का हिस्सा ,होना हमें नहीं
तेरी इबादत बगैर ,जीना हमें नहीं
बन्दों की खिदमत किये बगैर ,रुखसत होना हमें नहीं

खिदमत करूं मैं तेरी , ऐसा मेरा नसीब हो
इबादत करूं मैं तेरी , ऐसा मेरा ज़मीर हो
जन्नत नसीब हो मुझको , ऐसा तेरा करम हो
जी रहा हूँ इस मिजाज़ से ,मुझ पर तेरा करम हो

ज़माने को देखकर उसे एहसास ये हुआ
सत्य इस जिन्दगी का इन चार कन्धों पर है
प्रयास मेरे जो न हुए खुदा की राह में

इन चार कन्धों का भी सहारा नसीब न होगा मुझको 

No comments:

Post a Comment