धरती थरथराएगी , आसमां बिजली
गिराएगा
धरती थरथराएगी , आसमां बिजली गिराएगा
जब सारा जहाँ , फरेब के आगोश में घिरा जाएगा
आयेगा भूकंप , सागर सुनामी लाएगा
जब सारा जहाँ इंसानियत की राह से भटक जाएगा
डाकू , लुटेरों का कोई ईमान नहीं
होता
फरेबियों का कभी ज़माना नहीं होता
बदमाशों का अपना कोई ठिकाना नहीं
होता
बेगैरतों का अपना आशियाना नहीं
होता
किसी को बेवफा कहना बहुत आसान
होता है
आती है जब खुद पर , हकीकत से
सामना होता है
यूं ही ज़ख्म नहीं खाते लोग दिल पर
मुहब्बत करना और उसे निभाना आसान
नहीं होता है
फरेबी बनकर जियोगे तो फ़ना हो
जाओगे
बेरहम होकर जियोगे तो भटक जाओगे
जियोगे जो अनुचर होकर तो कृपा
पाओगे
दिल से जो किया काम तो रोशन हो
जाओगे
जो दिलासा न दे सके वो इंसान नहीं
जिसमे इंसानियत न हो उनका कोई
ईमान नहीं
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