१.
वक़्त की मशाल से
खुद को रोशन करो
वक़्त को ढाल बना ,
खुद को शिखर पर धरो
वक़्त से नादानियां
अनजाने में भी न करना
वक़्त की महिमा को जान
खुद को बुलंद करो
२.
बुजुर्ग को तुम जी भर सम्मान दो
अनुभवों को तुम धरोहर मान लो
बुजुर्गों के आशीर्वाद तले पलते सपने
उनके आशीष से , तुम जीवन संवार लो
3.
उन्हें हमारी मुहब्बत न थी कुबूल
फिर भी हम मुहब्बत में दीवाने हुए
बेक़सूर थे हम फिर भी बेआबरू हुए
खता हमसे ये हुई हम उनसे रूबरू हुए
4.
नेकदिल समझ हमने
उन पर भरोसा किया
उनके फरेब का हमें
ज़रा भी न इल्म था
सौंप दी जिन्दगी
इनकी राहों में हमने
उन्हें हमारी नेकदिली पर
एतबार न था
5.
फ़साना हो रही आज की जवानियाँ
संस्कृति आज झेलती वीरानियाँ
संस्कारों के लग नहीं रहे मेले
फ़साना हो रहीं आज ये निशानियाँ
६.
दुपट्टे का कोना मुंह में
दबा रहे हैं वो
खुद मन ही मन
लजा नही वो
बैचेनी दिल की
महसूस कर रहे हैं वो
फिर भी न जाने
क्यूं शर्मा रहे हैं वो
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