संगीत की सरिता बहाओ , वसंत का शुभ
आगमन
कमनीय . मनोहर है सुबह , हो वसंत का
शुभ स्वागतम
गौरवपूर्ण छटा प्रकृति की , हो वसंत
का यशगान
आओ हम सब मिल करैं , वसंत को ,
प्रकृति को प्रणाम
गर संघर्ष जीवन का सत्य हो जाए
गर प्रयास जीवन का अलंकार हो जाए
गर चलते रहना जीवन का आधार हो जाए
समझो मंजिल तेरे बहुत करीब है
एक
सुख की चाह , बहुत से सुखों का आधार हो गया
चाहा
था एक तारा मैंने ,पूरा आसमान हो गया
अभिलाषाओं
के सागर में डूब न जाना तुम
गलत
राह में पड़ खुद को न लजाना तुम
मर्यादित
होकर के संस्कारों को बचाना तुम
संस्कृति
की राह चलो , कुल को बढ़ाना तुम
पुरस्कार
की चाह रखो न , स्वाभिमान जगाना तुम
इच्छाओं
के सागर से निकल , सादा जीवन पाना तुम
विलासिता
है दुःख का गहना , पार न जाना तुम
लक्ष्य
तेरा हो सबकी सेवा , ऐसे भाग्य जगाना तुम
देश
प्रेम के हित जीना , देश हित मरना तुम
भाग्य
भरोसे कभी न जीना , कर्म को रह बनाना तुम
मान
– प्रतिष्ठा कभी न खोना , खुद को बचाना तुम
खिदमत को तुम धर्म समझना
, सबको अपना बनाना तुम
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