Wednesday, 4 February 2015

तुम किसी की जिन्दगी में ग़ज़ल हो जाओ तो क्या हो

तुम किसी की जिन्दगी में ग़ज़ल हो जाओ तो क्या हो

तुम किसी की जिन्दगी में ग़ज़ल हो जाओ तो क्या हो
तुम किसी की जिन्दगी का गुलिस्तां हो जाओ तो क्या हो
तुमसे किसी के जीवनमे रौशनी फैले तो क्या हो
तुम किसी की राह के फूल हो जाओ तो क्या हो

तुम किसी के अँधेरे जीवन में उजाला हो जाओ तो क्या हो
तुम किसी की जिन्दगी का चश्मों – चिराग हो जाओ तो क्या हो
तुम किसी की जिन्दगी में उम्मीद की किरण हो जाओ तो क्या हो
तुमसे किसी की जिन्दगी में नूर महक उठे तो क्या हो

निगाहों में गर किसी की तुम समां जाओ तो क्या हो
निगेहबान तुम किसी की जिन्दगी के हो जाओ तो क्या हो
गर तुम फ़रिश्ता बन किसी के जीवन में आ जाओ तो क्या हो
फ़साना बन मुहब्बत का तुम किसी को मुहब्बत सिखाओ तो क्या हो

गर तुम किसी के अज़ीज़ हो जाओ तो क्या हो
गर तुम किसी से वादा निभाओ तो क्या हो
तुम किसी की ख्वाहिशों के सुस्वप्न हो जाओ तो क्या हो

तुमसे किसी की जिन्दगी को नाम मिल जाए तो क्या हो 

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