करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
जगत में ऐसा क्या है , जो भाता है
तुझको
मैं अर्पण क्या करूँ तुझको , बता
ओ मथुरा के ग्वाले
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
नयनों में बसे अश्रु , मैं अर्पण
करूँ तुझको
करो स्वीकार इनको , ओ नन्द के
प्यारे
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
मुझको तो सुध नहीं कान्हा , क्या
अर्पण मैं करूँ तुझको
दो फूल प्यार के भगवन , मैं अर्पण
करूँ तुझको
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
अहंकार को छोड़ूँ , उपकार अर्पण करूँ तझको
तेरी कृपा हो मुझ पर , ओ राधा के
प्यारे
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
जगत ये भा गया मुझको तुम्हारी
कृपा से
मुक्ति का मार्ग दिखला दो , ओ
गउओं के रखवाले
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
मैं दुर्गुणों का समंदर हूँ ,
कृपा करो मुझ पर
भक्ति का मार्ग दिखला दो , ओ
देवकी के प्यारे
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
पहन अज्ञान का चोला , भटक रहा हूँ दर – दर
करो उद्धार मेरा , ओ जगत के
रखवाले
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
जीत में और हार में भी , मुझे रहे
स्मरण तेरा
सुन्दर तन , सुन्दर मन हो मेरा
कुछ ऐसा कर दो ओ बृज के रखवाले
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
सिंहासन की मुझे चाह नहीं है
धन दौलत की मुझे परवाह नहीं है
चरण कमल मैं तेरे अर्पण
मुक्ति मार्ग पर ले लो मुझको , ओ
मयूर पंख वाले
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
मैं सेवक तुम मेरे स्वामी , पार
लगाना नैया
हर पल तेरा नाम जपून मैं
अब तो दर्श दिखा दो , ओ मथुरा के
ग्वाले
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
हर्षित हो तन मेरा , हर्षित हो मन
मेरा
तेरी भक्ती से अमृत रस से
पावन हो जीवन मेरा , ओ सुदामा
मित्र दुलारे
करूँ मैं क्या तुझे अर्पण बता ओ
बाँसुरी वाले
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