फाका किये निभाए चले जा रहे हैं वो
फाका किये निभाये चले जा रहे हैं वो
दुनिया को राह दिखाए चले जा रहे हैं
वो
खुद की परवाह नहीं है उनको
इंसानियत के गीत गाये चले जा रहे
हैं वो
पशेमान न हों कुछ ऐसा किये जा रहे हैं वो
परवरिश जरूरतमंदों की किये जा रहे हैं वो
फ़ाज़िल खुदा की निगाह में हुए जा
रहे हैं वो
पैगाम मकसदे – इंसानियत दिए जा
रहे हैं वो
फ़साना न हो जाए जिन्दगी उस खुदा की निगाह में
बदनसीबों के सपनों को संजोये जा रहे हैं वो
मकसदे इंसानियत को बना लिया
उन्होंने जीने का सबब
दूसरों की आग में खुद को जलाये जा
रहे हैं वो
अदालत में उस खुदा की , ये जिन्दगी रुसवा न हो
अज़ाब से लोगों को निजात दिलाये जा रहे हैं वो
बेगैरत न
समझ ले ज़माना उनको
सभी से
वफ़ा निभाये जा रहे हैं वो
अफ़साना न हो जाये ये जिन्दगी
अश्फाक बन सबसे निभाए जा रहे वो
उन्हें अपने
अरमानों की फ़िक्र नहीं है
दूसरों के
सपनों को सजाये जा रहे हैं वो
अलीम है
उसको , खुद पर है यकीन
यूं ही
नहीं खुदा की राह पर चले जा रहे हैं वो
खुदा की कारसाजी पर उनको है भरोसा
नेकी का थामे दामन , चले जा रहे
हैं वो
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