Saturday 17 January 2015

करिश्मा उसके हुस्न में था


करिश्मा उसके हुस्न में था
करिश्मा उसकी निगाह में था
हम हो लिए उसके
करिश्मा उसकी अदाओं में था

आँखों से क़त्ल कर
खुद को कहते बेगुनाह
हमारा क्या गुनाह था
जो हम तेरी आँखों के शिकार हुए

रिश्ता – ऐ – वफ़ा का कुछ ख्याल करो
पाक मुहब्बत पर एतबार करो
यूं ही नहीं नसीब होती मुहब्बत हर किसी को
कुछ तो इस पाक रिश्ते पर एतबार करो

अजब सी कशिश है ये आशनाई
गजब है ये मुहब्बते खुदाई
अज़ीज़ मानते हैं वो मुझे अपना
क्या नायाब चीज ये खुदा तूने बनाई

सफ़र पर जाओ तो मेरी यादों को बरकरार रखना
मैं तेरा हमराज हूँ , ये बात याद रखना
मिलते हैं बहुत से मुसाफिर राहों में
मैं तेरी यादों में रहूँ बसर , ये आरज़ू करना

इज़हार  कर गर है तुझे मुहब्बत मुझसे
इकरार कर गर है मेरे इश्क पर भरोसा तुझको
आसान नहीं होती मुहब्बत की राहें , ये तुझे है पता
एतबार कर गर है उस खुदा पर भरोसा तुझको

इंतज़ार कर गर है भरोसा मुझ पर
एतबार कर गर है तुझे मुहब्बत पर अपनी
इकरार कर गर तुझमे है एहसासे मुहब्बत
बुलंद कर राहे मुहब्बत , गर तेरे हैं कुछ सपने


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