Tuesday, 20 January 2015

मेरी आँखों के सपने


 
मेरी आँखों के सपने


मेरी आँखों के सपने , तेरी बाहों के दीवाने 
 
जीते हैं इस आरज़ू में , ये मुहब्बत के परवाने


खुदा उन्हें बख्से नूर , हमें मुहब्बत का शुरूर 
 
हम पर एतबार हो उनको, सरे बाज़ार नीलाम न

 हो इश्क


मुझे भी हों मयस्सर , तेरे पल दो पल 
 
इसी आरज़ू के साथ , मेरी हर सुबह आये


ख्वाहिशों का ये समंदर , कहीं बिखर न जाए 
 
इंतज़ार मैं कर रहा तेरा , क़यामत की रात तो 

आये


खिला कर चहरे पर मुस्कान , मुझको न रुला

 देना
मुझे एतबार है तुझ पर , मेरे सपनों की 

शहजादी

 
ये बारिश मुझको कर रही है और भी दीवाना
 
तू आये तो किसी बहाने से ही आ जाए


ये आंखें नाम न हो जाएँ तेरे इंतज़ार में 
 
तू मेरी साँसों में बस जा , इस दिल को करार

 आये


मैं पूजता हूँ तुझको , उस खुदा की मानिंद
 
मेरे सपनों को कर रोशन , जीवन ए बहार आये


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