Sunday 4 January 2015

आपसी कलह को भूल , प्यार से गले मिलो

आपसी कलह को भूल , प्यार से गले मिलो

आपसी कलह को भूल , प्यार से गले मिलो
द्वेष भाव को छोड़ , दिल से गले मिलो
कृतज्ञ हो जाएँ सभी , ऐसे प्रयास तुम करो
अहंकार को छोड़ , तकलीफ सबकी हरो

बेरहम न होना तुम , दिल में करुणा भरो
ह्रदय का विस्तार कर , जीवन में रंग तुम भरो
रिश्तों से लगाव रख , सम्बन्ध बनाए रखो
यकीन उस प्रभु पर हो , आस्था बनाए रखो

निर्मल तेरे विचार हों , निराला तेरा चरित्र हो
कमल से तुम खिले रहो , पथिक से तुम बढ़े रहो
परिश्रम का साथ ले चलो , अविराम तुम बढ़े  चलो
परिणाम का भय छोड़कर , कर्म पथ बढ़े चलो

सागर सा ह्रदय विशाल कर , ज्ञान मार्ग तुम वरो
जोश में भरे रहो , आँधियों से तुम न डरो
प्रसन्न तुम बने रहो , राह पर डटे रहो
मंजिल मिलेगी  तुझको , कर्तव्य मार्ग पर डटे रहो

अभिनन्दन मार्ग पर बढ़े रहो , मंजुल प्रयास तुम करो
लहरों का भय छोड़कर , पतवार ले तुम बढ़ो
बेख़ौफ़ तुम डटे रहो , अविराम तुम बढ़े रहो
वंदन तेरा भी होगा , सत्मार्ग तुम बढ़े रहो


आपसी कलह को भूल , प्यार से गले मिलो
द्वेष भाव को छोड़ , दिल से गले मिलो
कृतज्ञ हो जाएँ सभी , ऐसे प्रयास तुम करो
अहंकार को छोड़ , तकलीफ सबकी हरो


No comments:

Post a Comment