भरोसा
देकर
किसी
को
बेसहारा
मत
करना
भरोसा
देकर
किसी
को
बेसहारा
मत
करना
किसी
को
यूं
ही
,
गुमराह
मत
करना
जिन्दगी
वैसे
ही
तो
,
ग़मों
का
समंदर
है
किसी
को
उओं
ही
,
बीच
मझधार
मत
करना
पीकर
दो
बूँद
शराब
की
सोचते
हैं
वो
हमारा
ग़मों
से
कोई
नाता
नहीं
है
सुबह
नशा
जब
उतरता
है
उनका
फिर
अगली
शाम
दो
घूँट
पी
लेते
हैं
वो
मादकता
तन
झलके
तेरे
सौन्दर्य
की
मूरत
मन
मेरा
है
तुझको
तरसे,
हे
कामुकता
की
सूरत
है
मनोहर
रूप
तुम्हारा
,
मन
मेरा
न
बस
में
तुम
मुझको
जो
वर
लो
देवी
,
जंग
जीत
लूं
पल
में
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