निगाह
में
हम
उनकी
,गुनाहगार
थे
निगाह
में
हम
उनकी
,गुनाहगार
थे
कसूर
था
बस
इतना
,
हम
उनसे
मुहब्बत
कर
बैठे
नजाकत
से
उन्होंने
,
खुद
को
परदे
में
छुपा
लिया
वल्ला
जैसे
हमसे
रूबरू
हुए
न
हों
कभी
उन्हें
हमसे
मुहब्बत
न
हुई
,
ये
हमारा
नसीब
था
हमने
उनको
मुहब्बत
का
खुदा
समझा
,
ये
उनका
नसीब
था
बदनाम
मुहब्बत
को
करने
लगे
हैं
लोग
कपड़ों
की
तरह
प्रेमिका
बदलने
लगे
हैं
लोग
नफरत
से
यूं
न
देख
,
ऐ
मेरी
जानेमन
हम
मुहब्बत
के
पुजारी
हैं
,
कुछ
तो
करम
कर
मुहब्बत
की
मेरी
,
यूं
नुमाइश
न
कर
उस
खुदा
की
नेमत
को
यूं
बदनाम
न
कर
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