Saturday, 3 January 2015

निगाह में हम उनकी ,गुनाहगार थे


निगाह में हम उनकी ,गुनाहगार थे


निगाह में हम उनकी ,गुनाहगार थे
 
कसूर था बस इतना , हम उनसे मुहब्बत कर बैठे


नजाकत से उन्होंने , खुद को परदे में छुपा लिया
 
वल्ला जैसे हमसे रूबरू हुए हों कभी
 

उन्हें हमसे मुहब्बत हुई , ये हमारा नसीब था
 
हमने उनको मुहब्बत का खुदा समझा , ये उनका नसीब था
 

बदनाम मुहब्बत को करने लगे हैं लोग
 
कपड़ों की तरह प्रेमिका बदलने लगे हैं लोग
 

नफरत से यूं देख , मेरी जानेमन
 
हम मुहब्बत के पुजारी हैं , कुछ तो करम कर


मुहब्बत की मेरी , यूं नुमाइश कर
 
उस खुदा की नेमत को यूं बदनाम कर

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