हाले
गम
सुनायें
किसे
हाले
गम
सुनायें
किसे
,
अपने
गम
दिखायें
किसे
जिन्दगी
रंजो
गम
का
मेला
है
,
ये
हम
बतायें
किसे
रो
रहे
हैं
हम
भीतर
ही
भीतर
,
आंसू
दिखायें
किसे
पीर
कितनी
गहरी
है
,
ये
हम
सुनायें
किसे
जी
रहे
थे
हाँ
,
नादाँ
बनकर
यूं
ही
चालबाजों
ने
छला
है
हमको
,
ये
हम
बतायें
किसे
तरकश
में
तीर
लेकर
चले
न
थे
हम
लहुलुहान
हुए
हैं
हम
,
ये
हम
बतायें
किसे
भोलापन
हमारा
रास
न
आया
हमको
लोगों
ने
ठगा
हमको
,
ये
गम
सुनायें
किसे
पीकर
रह
गए
सभी
गम
,
अब
जाएँ
कहाँ
हम
हमारी
नासमझी
ने
रुलाया
हमको
,
ये
हम
बताएं
किसे
हमको
मालूम
न
था
दुनिया
इतनी
जालिम
है
हमजी
रहे
थे
यूं
ही
,
हम
ये
बताएं
किसे
हाले
गम
सुनायें
किसे
,
अपने
गम
दिखायें
किसे
जिन्दगी
रंजो
गम
का
मेला
है
,
ये
हम
बतायें
किसे
No comments:
Post a Comment