Tuesday, 6 January 2015

हाले गम सुनायें किसे , अपने गम दिखायें किसे


 
हाले गम सुनायें किसे


हाले गम सुनायें किसे , अपने गम दिखायें किसे
 
जिन्दगी रंजो गम का मेला है , ये हम बतायें किसे

 

रो रहे हैं हम भीतर ही भीतर , आंसू दिखायें किसे
 
पीर कितनी गहरी है , ये हम सुनायें किसे

 

जी रहे थे हाँ , नादाँ बनकर यूं ही
 
चालबाजों ने छला है हमको , ये हम बतायें किसे

 

तरकश में तीर लेकर चले थे हम
 
लहुलुहान हुए हैं हम , ये हम बतायें किसे

 

भोलापन हमारा रास आया हमको
 
लोगों ने ठगा हमको , ये गम सुनायें किसे

 

पीकर रह गए सभी गम , अब जाएँ कहाँ हम
 
हमारी नासमझी ने रुलाया हमको , ये हम बताएं किसे

 

हमको मालूम था दुनिया इतनी जालिम है
 
हमजी रहे थे यूं ही , हम ये बताएं किसे

 
हाले गम सुनायें किसे , अपने गम दिखायें किसे
 
जिन्दगी रंजो गम का मेला है , ये हम बतायें किसे

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