गीत
मत
गाओ
ख़ुशी
के
गीत
मत
गाओ
ख़ुशी
के
औरों
के
क्रंदन
को
सुनो
गीत
मत
गाओ
ख़ुशी
के
औरों
के
गम
को
चुनो
ये
नगरी
ख़ुशी
और
ग़मों
का
समंदर
है
हो
सके
तो
यार
औरों
के
आंसू
चुनो
ख़ुशी
और
ग़मों
से
बहुत
दूर
,
बहुत
दूर
चीर
मया
रुपी
अन्धकार
को
मोक्ष
रूपी
सुख
की
खोज
पूर्ण
तृप्ति
की
और
दो
कदम
बस
दो
कदम
पूर्ण
अभिनन्दन
की
और
अंतिम
लक्ष्य
की
और
जीवन
की
पूर्ण
अनुभूति
जीवन
की
मुक्ति
साधना
अनुनय
विनय
उस
रत्नाकर
से
पूर्ण
विनय
उस
परब्रह्म
से
स्नेपूर्ण
दृष्टि
की
अभिलाषा
चरमोत्कर्ष
की
कामना
इन
सब
माया
जालों
के
समर
में
जीवन
मुख्ति
द्वार
की
ओर
गीत
मत
गाओ
ख़ुशी
के
औरों
के
क्रंदन
को
सुनो
गीत
मत
गाओ
ख़ुशी
के
औरों
के
गम
को
चुनो
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