Saturday 3 January 2015

गीत मत गाओ ख़ुशी के


 
गीत मत गाओ ख़ुशी के
 

गीत मत गाओ ख़ुशी के
 
औरों के क्रंदन को सुनो
 
गीत मत गाओ ख़ुशी के
 
औरों के गम को चुनो
 

ये नगरी ख़ुशी और
 
ग़मों का समंदर है
 
हो सके तो यार
 
औरों के आंसू चुनो
 

ख़ुशी और ग़मों से
 
बहुत दूर , बहुत दूर
 
चीर मया रुपी अन्धकार को
 
मोक्ष रूपी सुख की खोज
 

पूर्ण तृप्ति की और
 
दो कदम बस दो कदम
 
पूर्ण अभिनन्दन की और
 
अंतिम लक्ष्य की और
 

जीवन की पूर्ण अनुभूति

जीवन की मुक्ति साधना
 
अनुनय विनय उस रत्नाकर से
 
पूर्ण विनय उस परब्रह्म से
 

स्नेपूर्ण दृष्टि की अभिलाषा

चरमोत्कर्ष की कामना
 
इन सब माया जालों के समर में
 
जीवन मुख्ति द्वार की ओर
 

गीत मत गाओ ख़ुशी के
 
औरों के क्रंदन को सुनो
 
गीत मत गाओ ख़ुशी के
 
औरों के गम को चुनो


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