स्वावलंबी
कर
स्वयं
को
,
चीर
तम
आगे
बढ़ो
स्वावलंबी
कर
स्वयं
को
,
चीर
तम
आगे
बढ़ो
कामनाओं
के
रथ
रोको
,
निर्विघ्न
तुम
बढ़े
चलो
गिरिराज
से
स्थिर
बनो
तुम
,
स्वाभिमान
तुम
वरो
जय
– पराजय
भूल
सब
,
मंजिल
पर
निगाहें
तुम
धरो
निराशा
के
भंवर
से
निकल
,
कुछ
गीत
तुम
भी
गढ़ो
आजाद
कर
स्वयं
को
,
हिमालय
तिरंगा
तुम
धरो
कर
स्वयं
को
सम्मानित
,
राष्ट्रहित
अब
तुम
मरो
यशगान
तेरा
हो
धरा
पर
,
कर्म
ऐसे
तुम
करो
हे
देश
के
वीर
सिपाही
,
दुश्मन
को
परास्त
तुम
करो
कहलाओ
तुम
परमवीर
,
देश
रक्षा
हित
तुम
मरो
स्वतन्त्र
भारत
की
धरा
आज
तुम्हें
पुकारती
रोशन
करो
इस
देश
को
,
दिल
से
पुकारो
माँ
भारती
राष्ट्र
हो
सर्वोपरि
,
धर्म
सम्प्रदाय
से
बड़ा
करो
स्वयं
को
न्योछावर
,
बलि-
बलि
जाए
माँ
भारती
स्वावलंबी
कर
स्वयं
को
,
चीर
तम
आगे
बढ़ो
कामनाओं
के
रथ
रोको
,
निर्विघ्न
तुम
बढ़े
चलो
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