Monday 5 January 2015

स्वावलंबी कर स्वयं को , चीर तम आगे बढ़ो


 
स्वावलंबी कर स्वयं को , चीर तम आगे बढ़ो



स्वावलंबी कर स्वयं को , चीर तम आगे बढ़ो

कामनाओं के रथ रोको , निर्विघ्न तुम बढ़े चलो

 

गिरिराज से स्थिर बनो तुम , स्वाभिमान तुम वरो
 
जयपराजय भूल सब , मंजिल पर निगाहें तुम धरो

 

निराशा के भंवर से निकल , कुछ गीत तुम भी गढ़ो

आजाद कर स्वयं को , हिमालय तिरंगा तुम धरो

 

कर स्वयं को सम्मानित , राष्ट्रहित अब तुम मरो
 
यशगान तेरा हो धरा पर , कर्म ऐसे तुम करो

 

हे देश के वीर सिपाही , दुश्मन को परास्त तुम करो
 
कहलाओ तुम परमवीर , देश रक्षा हित तुम मरो

 

स्वतन्त्र भारत की धरा आज तुम्हें पुकारती
 
रोशन करो इस देश को , दिल से पुकारो माँ भारती
 

राष्ट्र हो सर्वोपरि , धर्म सम्प्रदाय से बड़ा
 
करो स्वयं को न्योछावर , बलि- बलि जाए माँ भारती

 

स्वावलंबी कर स्वयं को , चीर तम आगे बढ़ो

कामनाओं के रथ रोको , निर्विघ्न तुम बढ़े चलो



No comments:

Post a Comment